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[मूलाचारे
अणागदं अनागतं भविष्यत्कालविषयोपवासादिकरणं चतुर्दश्यादिषु यत्कर्त्तव्यं तत्त्रयोदश्यादिषु यत् क्रियते तदनागतं प्रत्याख्यानं, अदिषंतं अतिक्रान्तं अतीतकालविषयोपवासादिकरणं चतुर्दश्यादिषु यत्कर्त्तव्यमुपवासादिकं तत्प्रतिपदादिषु क्रियतेऽतिक्रान्तं प्रत्याख्यानं । कोडीसहिदं कोटिसहितं संकल्पसमन्वितं शक्त्यपेक्षयोपवासादिकं श्वस्तने दिने स्वाध्यायवेलायामतिक्रान्तायां यदि शक्तिर्भविष्यत्युपवासादिकं करिष्यामि नो चेन्न करिष्यामीत्येवं यत् क्रियते प्रत्याख्यानं तत्कोटिसहितमिति, णिवखंडितं निखंडितं अवश्यकर्त्तव्यं पाक्षिकादिषूपवासकरणं निखंडितं प्रत्याख्यानं साकार सभेदं सर्वतोभद्रकनकावल्याद्युपवासविधिर्नक्षत्रादिभेदेन करणं तत्ताकारप्रत्याख्यानं, अनाकारं स्वेच्छ्योपवासविधिर्नक्षत्रादिकमंतरेणोपवासादिकरण मनाकारं प्रत्याख्यानं,
गत, अपरिशेष, अध्वानगत और दशम सहेतुक ये दश भेद जानो । ये प्रत्याख्यान के भेद जिनमत में निरुक्ति सहित हैं ।। ६३६ - ६४० ॥
आचारवृत्ति - दश प्रकार के प्रत्याख्यान को पृथक्-पृथक् कहते हैं—
१. भविष्यत्काल में किए जाने वाले उपवास आदि पहले कर लेना, जैसे चतुर्दशी आदि में जो उपवास करना था उसको त्रयोदशी आदि में कर लेना अनागत प्रत्याख्यान है ।
२. अतीतकाल में किए जाने वाले उपवास आदि को आगे करना अतिक्रान्त प्रत्याख्यान है । जैसे चतुर्दशी आदि में जो उपवास आदि करना है उसे प्रतिपदा आदि में
करना ।
३. शक्ति आदि की अपेक्षा से संकल्प सहित उपवास करना कोटिसहित प्रत्याख्यान है । जैसे कल प्रातः स्वाध्याय वेला के अनन्तर यदि शक्ति रहेगी तो उपवास आदि करूंगा, यदि शक्ति नहीं रही तो नहीं करूंगा, इस प्रकार से जो संकल्प करके प्रत्याख्यान होता है वह कोटिसहित है ।
४. पाक्षिक आदि में अवश्य किए जाने वाले उपवास का करना निखण्डित प्रत्याख्यान है ।
५. भेद सहित उपवास करने को साकार प्रत्याख्यान कहते हैं । जैसे सर्वतोभद्र, कनकावली आदि व्रतों की विधि से उपवास करना, रोहिणी आदि नक्षत्रों के भेद से उपवास
करना ।
६. स्वेच्छा से उपवास करना, जैसे नक्षत्र या तिथि आदि की अपेक्षा के बिना ही स्वरुचि से कभी भी कर लेना अनाकार प्रत्याख्यान है ।
७. प्रमाण सहित उपवास को परिमाणगत कहते हैं । जैसे बेला, तेला, चार उपवास, पांच उपवास, सात दिन, पन्द्रह दिन, एक मास आदि काल के प्रमाण उपवास आदि करना परिमाणगत प्रत्याख्यान है ।
८. जीवन पर्यंत के लिए चार प्रकार के आहार आदि का त्याग करना अपरिशेष प्रत्याख्यान है ।
६. मार्ग विषयक प्रत्याख्यान अध्वानगत है । जैसे जंगल या नदी आदि से निकलने
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