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________________ पुरोवाक् किसी दर्शनके प्रस्थान को साङ्गोपाङ्ग समझनेके लिये सर्वप्रथम उसकी अस्तित्वसम्बन्धी अवधारणाको समझना आवश्यक होता है। अस्तित्वसे अभिप्राय जीवनके अस्तित्वसे है । जीवनकी व्याख्याके लिये जगत्की भी व्याख्या करनी पड़ती है। इसलिये जीवन और उससे सम्बद्ध जगत की व्याख्यासे पूरे अस्तित्वकी व्याख्या हो जाती है। यदि जीवन-अस्तित्व-दृष्टि शाश्वतवादी या स्थिरवादी है तो अवश्य ही जीवन और जगत्के उपादान कारणोंमें शाश्वत एवं स्थिर तत्त्व स्वीकार करने पड़ेंगे । यदि जीवन-दृष्टि अनित्यवादी एवं परिवर्तनशील है, तो उसके कारण भी अवश्य ही अनित्य, क्षणिक एवं गतिशील होंगे । भारतीय दर्शनोंमें वस्तुकी व्याख्याके द्वारा साक्षात् या परम्परया जीवनकी ही व्याख्या की जाती है। भारतीय दर्शनोंमें वस्तु या सत्ताके सम्बन्धमें कुछ सिद्धान्त सामान्यवस्तुवादी हैं और कुछ विशेषवादी। सामान्यवादी सत्ता को अनुगत या साधारण रूपमें देखता है, और विशेषवादी वस्तुओंकी सत्ता को उसकी असाधरणता या ऐकान्तिक विशेषतामें पहचानता है। सामान्यवादी दर्शनोंका परिणमन अन्ततोगत्वा महासामान्य (अखण्डता) में होता है, और विशेषवाद कालिक तथा दैशिक सूक्ष्मताके साथ-साथ अन्ततोगत्वा अनस्तित्ववादमें पर्यवसित होता है। मोटे तौरसे कहा जाय तो सामान्यसद्वाद सांख्य, न्याय और मीमांसासे चलकर वेदान्तके महासामान्य-सत्तामें विकसित हुआ और विशेषवाद वैशेषिक, वैभाषिक और सौत्रान्तिकके मार्गसे आचार्य नागार्जुनके अनस्तित्ववादमें पर्यवसित हुआ। उपर्युक्त दोनों प्रमुख दार्शनिक यात्राओंका प्रारम्भ हुआ था, बाह्यजगत्के अस्तित्वको परमार्थतः सत्य मानकर, किन्तु पर्यवसान हुआ जगत्के मिथ्यात्व या अलीकत्वमें। इस स्थितिमें प्रश्न यह उठता है कि जगतके मिथ्यात्व या अलीकत्वको स्वीकार करनेपर क्या जीवनकी पूरी व्याख्या सम्पन्न हो जाती है ? इसका दार्शनिक उत्तर 'हाँ' और 'न' दोनों हो सकता है। यदि यह मानकर चलें कि जगत्की पारमार्थिक सत्ताके विना जीवनकी व्याख्या नहीं हो सकती तो इस स्थितिमें केवल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001836
Book TitleAptamimansa Tattvadipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size9 MB
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