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[ १४ । सूत्रसंख्या विषय
गाथाङ्क १६ अपात्र (अयोग्य) को वाचना देने का निषेध २० पात्र को वाचना न देने पर प्रायश्चित २१ क्रम से अध्ययन न करने वाले को वाचना देने का निषेध २२ क्रमशः अध्ययन करने वाले को पाचना न देने पर
प्रायश्चित्त तिन्तणिक आदि अपात्र तथा प्रदृष्टभाव' मादि अव्यक्त की विस्तृत व्याख्या, दोष एवं अपवाद
६१६८-६२३६ २३-२६ अब्यक्त तथा अप्राप्त को वाचना देने का निषेध और
व्यक्त तथा प्रात को वाचना न देने पर प्रायश्चित व्यक्त और अव्यक्त की परिभाषा, अप्राप्त-सम्बन्धी चतुर्भङ्गी, दोष तथा अपवाद
६२३७-६२४३ २७ दो समान गुणवाले अध्येताओं में से एक को अध्ययन
कराने और दूसरे को अध्ययन न कराने की भेद-बुद्धि का निषेध
६२४४-६२५६ २८ प्राचार्य तथा उपाध्याय द्वारा प्रदत्त वाणी के ग्रहण
का निषेध वाणी के भेद, अदत वाणी-ग्रहण के कारण, तप:स्तेन मादि, मावस्तेन के सम्बन्ध में गोविन्द वाचक का उदाहरण, दोष तथा अपवाद
६२५०-६२५७ २६-४० अन्यतीर्थी, गृहस्थ, पार्श्वस्थ तथा कुशील आदि के
साथ वाचना के दानाऽदान व्यवहार का निषेध . अन्यतीर्थी प्रादि को वाचना देने-लेने पर प्रायश्चित्त, वाचना के देने-लेने से दोष स्वपाषण्डी और अन्यपाषण्डी की व्याख्या. अपवाद और तद्विषयक यतना
६२५८-६२५१ विंशतितम उद्देशक एकोनविंशतितम और विंशतितम उद्देशक का सम्बन्ध ६२७२ १ मासिक परिहार-स्थान के दोषी को परिकुञ्चित तथा
अपरिकुञ्चित पालोचना के भेद से प्रायश्चित्त भिक्षु-पद के निक्षेप और तत्सम्बन्धी शङ्का-समाधान ६२७३-६२८१ मास पद के निक्षेप और नक्षत्रादि मासों का प्रमाण ६२८२-६२६१ परिहार-पद के निक्षेप
६२६२-६२६५ स्थान-पद के निक्षेप
६२६६-६३०२
२६५-२६६
२६५-२६६
२६६-२६६
२६६-२६६
२७१
२७१-३०४ २७२-२७४ २७४-२७६ २७६-२८० २८०-२८२
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