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________________ पृष्ठाङ्क २१२-२३ २१३-२१८ २१६ २१६-२२४ २२४-२२५ २२५-२२६ [ १३ ] सूत्रसंख्या विषय गाथाङ्क २०-२३ नौका-स्थित लोगों से प्रशनादि ग्रहण करने का निषेध ६०२४-६०२६ २४-७४ वस्त्र खरीदने आदि का निषेध (चतुर्दश उद्देशक के । पात्र-प्रकरण के समान) ६०२७ एकोनविंशतितम उद्देशक अष्टादश और एकोनविंशतितम उद्देशक का सम्बन्ध ६०२८-६०२६ १-७ विकट के खरीदने आदि का निषेध और ग्लानापवाद ६०३०-६०५३ __ ८ चार संध्याओं में स्वाध्याय का निषेध ६०५५-६०५८ ९-१० संध्या आदि में कालिक श्रुत एवं दृष्टिवाद के क्रम से ३ तथा ७ से अधिक प्रश्न पूछने का निषेध ६०५६-६०६३ ११-१२ इन्द्र महोत्सवादि चार महामहोत्सवों और ग्रीष्म कालीन आदि महाप्रतिपदाओं में स्वाध्याय का निषेध ६०६४-६०६८ १३ पौरुषी स्वाध्याय के अतिक्रमण का निषेध १४ स्वाध्याय-काल में स्वाध्याय न करने पर प्रायश्चित्त ६८७०-६०७३ १५ अस्वाध्याय में स्वाध्याय करने का निषेध प्रस्वाध्याय के भेद-प्रभेद ६०७४ अस्वाध्याय में स्वाध्याय करने पर दण्ड मोर इस सम्बन्ध में राजा का दृष्टान्त ६०७५-६०७८ संयमघाती प्रस्वाध्याय ६०७६-६०८४ पौत्पातिक अस्वाध्याय ६०८५-६०८७ दिव्यकृत प्रस्वाध्याय ६०८८-६०६३ विग्रह-सम्बन्धी प्रस्वाध्याय ६०६४-६०६८ शरीर-सम्बन्धी प्रस्वाध्याय ६०६६-६११७. काल-प्रतिलेखना-सम्बन्धी सहा-समाधान तथा अपवाद प्रादि ६१५८-६१६४ १६ स्वशरीर-समुत्थ अस्वाध्याय में स्वयं स्वाध्याय करने का निषेध ६१६५-६१७६ १७ पहले के समवसरणों का वाचन किये विना अग्रिम समवसरणों के वाचन का निषेध ६१८०-६१८३ १८ नव ब्रह्मचर्य (प्राचारांग) का वाचन किये विना उत्तर या उत्तम श्रुत (छेद-सूत्र आदि) के वाचन का निषेध उत्तम श्रुत की व्याख्या, प्रायंरक्षित के द्वारा युगानुसार अनुयोगों का पृथक्करण, अनुयोगों का क्रम, दोष तथा ६१८५-६१६५ २२६-२२७ २२७ २२७-२२८ २२०-२४४ २२६ २२६-२३१ २३१-२३२ २३२-२३३ २३३-२३४ २३४-२३६ २३१-२४४ २४६-२५१ २५२ २५२-२५५ अपवाद २५३-२५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001831
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages608
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_nishith
File Size9 MB
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