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सभाष्य चूणिके निशीथसूत्र
[सूत्र ४०-५. जे भिक्खू चित्तमंताए पुढवीए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए
सोस्से सउदए सउत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-मक्कडासंताणगंसि दुब्बद्ध, दुन्निखित्ते, अनिकंपे, चलाचले उच्चारपासवणं परिट्ठवेड,
परिट्ठवेंतं वा सातिज्जति ॥सू०॥४४॥ जे भिक्खू सिलाए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए
सोस्से सउदए सउत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-मक्कडासंताणगंसि दुब्बद्ध, दुन्निखित्ते, अनिकंपे, चलाचले उच्चारपासवणं परिहवेइ,
परिट्ठवेंतं वा सातिज्जति ॥०॥४५॥ जे भिक्खू लेलूए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए
सओस्से सउदए सउत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-मक्कडासंताणगंसि दुब्बद्धे, दुनिखित्ते, अनिकंपे, चलाचले उच्चारपासवणं परिद्ववेइ,
परिहवेंतं वा सातिज्जति ॥सू०॥४६॥ जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए
सओस्से सउदए सउत्तिंग-पणग-दग-मडिय-मक्डासंताणगंसि दुबद्धे, दुनिखित्ते, अनिकंप, चलाचले उच्चारपासवणं परिदुवेइ,
परिहवेंतं वा साइज्जइ ।।सू०॥४७॥ जे भिक्खू थूणसि वा गिहेलुयंसि वा उसुयालंसि वा झामवलंसि वा
दुबद्ध, दुन्निखिने, अनिकंपे, चलाचले उच्चारपासवणं परिहवेइ,
परिट्ठवेंतं वा सातिज्जति ॥०॥४८॥ जे भिक्खू कुलियंसि वा भित्तिसि वा सिलंसि वा लेलुंसि वा
अंतलिक्खजायंसि वा दुबद्ध, दुनिखित्ते, अनिकंपे, चलाचले
उच्चारपासवणं परिहवेइ, परिहवेतं वा साइज्जइ ॥५०॥४६॥ जे भिक्खू खधंसि वा फलहंसि वा मंचंसि वा मंडवंसि वा मालंसि वा पासायसि वा
दुब्बद्ध. दुन्निखित्ते, अनिकंपे, चलाचले उच्चारपासवर्ण परिवेइ, परिडवेतं वा सातिजति ।
तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं उग्धातिया।स०॥५०॥ पुहवीमादी कुलिमादिएसु शृणादिखंधमादीसु । तेसुच्चारादीणि, परिहवे आणमादीणि ।।५६०२॥
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