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पृष्ठाङ्क ४६८-४६६ ४६६-४७१ ४७१-४७२
४७२ ४४२-४७३
४७३-४७५ ४७५-४७६
४७६-४७७
४७६ ४७६ ४७९-४८०
सूत्राङ्क विषय
गाथाङ्क ३५ (गृहस्थ स पात्र लेते समय) पात्र से त्रस प्राणियों को निकालने का निषेध ४६५२-४६५४
पात्र से बीज निकालने का निषेध ४६५५-४६६६ ३७ , पात्र से कन्द, मूल, पत्र, पुष्प एवं फल निकालने का निषेध ,, ३८-४० , पात्र से पृथ्वीकाय, अपकाय एवं तेजस्कार निकालने का निषेध
४६६७ ४१ पात्र कोरने-बनाने का निषेध
४६६८--४६७२ ग्रामान्तर अथवा ग्रामथान्तर से पात्र की याचना करने का निषेध
४६७३-४६८० ४३ परिषदा के मध्य में से उठाकर पात्र की याचना करने का निषेध ४६८१-४६८५ ४४-४५ पात्र की प्राशा से ऋतुबद्ध होकर रहने अथवा चातुर्मास करने का निषेध
४६८६-४६८४ पंचदश उद्देशक चतुदर्श एवं पंचदश उद्देशक का सम्बन्ध
४६६० १-४ किसी साधु को कठोर वचन कहने का निषेध ४६६१ ५- सचित्त पाम्र के उपभोग आदि का निषेध
४६६२-४६६६ १-१२ सचित्त अाम्र आम्रपेशी, अाम्रभित्त, आम्रशालक,
अाम्रडालक अथवा आम्रचोयक के उपभोग आदि का निषेध (सदृष्टान्त)
४६६७-४६४८ १३-६५ अन्यतीर्थिक अथवा गृहस्थ से अपने पैर, शरीर, आँख
आदि का प्रमार्जन, परिमर्दन, प्रक्षालन, अभ्यगन आदि करवाने का निषेध
४६४६-४६५२ ६६-७४ प्रागंतागार, पारामागार, गाथापतिकुल, आदि स्थानों में उच्चार-प्रश्रवण डालने का निषेध
४६५३-४६५८ ७५-७६ अन्यतीथिक अथवा गृहस्थ को अपना आहारादि ।
देने अथवा उससे आहारादि ग्रहण करने का निषेध ४६५६-४६६८ ७७-८६ पाश्वस्थ, कुशील आदि को ग्राहारादि देने अथवा उनसे ग्रहण करने का निषेध
४६६६-४९७६ ८७-८८ अन्यतीर्थिक अथवा गृहस्थ को वस्त्रादि देने अथवा उससे अपने वस्त्रादि लेने का निषेध
४९८०-४९८६ ८६-९८ पार्श्वस्थ आदि को वस्त्रादि देने अथवा उनसे वस्त्रादि लेने का निषेध
४६६०-५००० ६६ ज्ञापनावस्त्र अथवा निमंत्रणावस्त्र विना जांच-पड़ताल किये ग्रहण करने का निषेध
५००१-५०६० १००-१५४ शृंगार अथवा शोभा के लिए अपने पैर, शरीर,
दांत, अोष्ठ आदि के प्रमार्जन, परिमर्दन, प्रधावन ग्रादि का निषेध
५०६१-५०६४
४८१-५४८
५४८-५५५
५५६-५५७
५५७-५५६
५५६-५६२
५६२-५६४
५६४-५६६
५६६-५८८
५८८-५९४
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