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________________ 1 २३ ) प्राचर्य का उत्सर्ग और अपवाद भिक्षु का यह उत्सर्ग मार्ग है, कि वह अपने ब्रह्मचर्य महाव्रत की रक्षा के लिए एक दिन की नवजात कन्या का भी स्पर्श नहीं करता। परन्तु अपवाद रूप में वह नदी में डूबती हुई अथवा क्षिप्तचित्त आदि भिनणी को पकड़ भी सकता है। __ इसी प्रकार यदि रात्रि आदि में सर्पदंश की स्थिति हो, और अन्य कोई उपचार का माम न हो, तो साघु स्त्री से और साध्वी पुरुष से अवमान आदि स्पर्श-सम्बन्वित चिकित्सा कराए तो वह कल्प्य है । उक्त अपवाद में कोई प्रायश्चित्त नहीं है-'परिहारं च से न पाउण।" साधु या साध्वी के पैर में कांटा लग जाए, अन्य किसी भी तरह निकालने की स्थिति न हो, तो एक दूसरे से निकलवा सकते हैं। कथित उद्धरणों से यह बात स्पष्ट हो जाती है, कि साधक-जीवन में जितना महत्व उत्सर्ग का है, अपवाद का भी उतना ही महत्त्व है। उत्सर्ग और अपवाद में से किसी का भी एकान्ततः न ग्रहण है, न परित्याग । दोनों ही यथाकाल धर्म हैं, ग्राह्य हैं। दोनों के सुमेल से जीवन स्थिर बनता है। एक समर्थ आचार्य के शब्दों में कहा जा सकता है, कि " किसी एक देश और काल में एक वस्तु अधर्म है, तो वही तद्भिन्न देश और काल में धर्म भी हो सकती है।" अपरिग्रह का उत्सर्ग और अपवाद उत्सर्ग स्थिति में साधु के लिए पात्र प्रादि धर्मोपकरण, जिनकी संख्या १४ बताई है." ग्राह्य हैं। इनके अतिरिक्त अन्य सब परिग्रह हैं । और परिग्रह भिक्षु के लिए सर्वथा वर्ण्य है।" परन्तु अपवादीय स्थिति की गंभीरता भी कुछ कम नहीं है। जब कोई भिक्षु स्थविरभूमि-प्राप्त स्थविर हो जाता है, तो वह छत्रक,चर्मछेदनक प्रादि अतिरिक्त उपधि भी आवश्यकतानुसार रख सकता है।" w-हत्कल्प सूत्र स० ६ सू०७-१२ ४०-यवहार सूत्र उ०५ सू०२१ ४९हत्कल्प सूत्र उ० ६ सू० ३ ५.-पस्मिन् देशे काल, यो धर्मो भवति । स एव निमित्तान्तरेणु पधर्मो भवत्येत ॥ ५१-प्रश्न व्याकरण, संवर द्वार, अपरिग्रह निरूपण ५२- सावकामिक, चतुर्थ अध्ययन, पंचम महावत ५३-बबहार सूत्र, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001830
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages644
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_nishith
File Size10 MB
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