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सभाष्य-चूणिके निशीथसूत्रे
[सूत्र ३६-६०
अहवा - साहुणिस्साते अण्णो कोइ गेण्हति । तत्थ ग्रामकाए गे"हण - क ड्हणानिया दोमा । जम्हा एते दोसा तम्हा णवर्गाणवेसेसु णो गेण्हेज ॥२०१२।। कारणा गेण्हेज्जा वि -
असिवे प्रोमोयरिए, रायदुढे भए व गेलण्णे ।
अद्धाण रोहए वा, जतणा गहणं तु गीतत्थे ॥२०१२।। पूर्ववत् । जे भिक्खू मुह-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिज्जति ।।मू०॥३६।। जे भिक्खू दंत-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिज्जति ॥५०॥३७॥ जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं करेइ, करतं वा सातिज्जति ।।मू०॥३८॥ जे भिक्खू नासा-वीणियं करेइ, करतं वा सातिज्जति ॥२०३६।। जे भिक्खू कक्ख-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिज्जति ॥सू०॥४०॥ जे भिक्खू हत्थ-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिज्जति ।।सू०॥४१॥ जे भिक्खू नह-वीणियं करेइ, करतं वा सातिज्जति ।।सू०॥४२॥ जे भिक्खू पत्त-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिज्जति ॥२०॥४३॥ जे भिक्खू पुप्फ-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिज्जति ॥०॥४४॥ जे भिक्खू फल-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिज्जति ।।सू०४५।। जे भिक्खू बीय-वीणियं करेइ, करेंतं वा सातिज्जति ।।मु०॥४६॥ जे भिक्खू हरिय-वीणियं करेइ, करतं वा सातिज्जति ॥०॥४७॥ जे भिक्खू मुह-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिज्जति ॥॥४८॥ जे भिक्खू दंत-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिज्जति ॥२०॥४६।। जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिज्जति ॥सू०॥५०॥ जे भिक्खू नासा-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिज्जति ॥सू०॥५१।। जे भिक्खू कक्ख-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिज्जति ॥०॥५२॥ जे भिक्खू हत्थ-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिज्जति ॥सू०॥५३॥ जे भिक्खू नह-वीणियं वाएइ, वाएतं वा सातिज्जति ॥सू०॥५४।। जे भिक्ख पत्त-वीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिज्जति ।।सू०॥५॥ जे भिक्ख पुप्फ-चीणियं वाएइ, वाएंतं वा सातिज्जति ॥२०॥५६॥
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