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________________ ८६ निशीय : एक अध्ययन कुछ शब्द : भाषाशास्त्रियों के लिये कुछ विशिष्ट शब्दों के नमूने नीचे दिये जाते हैं, जो उनको प्रस्तुत ग्रन्थ के विशेष अध्ययन की ओर प्रेरित करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। वगिह % पाखाना। पाणहारिंग = गोबर एकत्र करने वाला । 'छाण' शब्द ग्राज भी गुजरात में इसी रूप में प्रचलित है। पुरघरयं = छुरे का घर, हजाम के उस्तरे का घर । खडखडेत = गु० 'खडखडाट'। चेल्लग = चेलो (गु०), शिष्य । पुलिया = पूली (गु०) तृण की गठरी। चुक्कति = चूक जाता है । गुजराती-चूक = भूल । गाह = बदनामी। सली = शाखा। मोटो = लोटो (गु०), लोटा। वाउखग = पुतला। रेक्खिया = पानी की बाढ़ का पा जाना; (गु० रेल) मक्कोडग = ( गु० मकोडा ) बड़ी काली चींटी। जूना = जू (गु०); उद्देहिया = (गु० उवई ) दीमक । कयिका = ( गु० कणिक ) ग्राटे का पिंड । लंच = ( गु० लांच ) घूस । उघेउ%= ( गु० उंघ) निद्रा लेना। मप्पक = ( गु० माप ) नाप । कुहाड = ( गु० कुहाडो) फरसा । खड्डा = गड्डा ( गु० खाडो ) इत्यादि । ये शब्द प्रथम भाग में आये हैं, और इन पर से यह सिद्ध होता है कि चूर्णिकार, सौराष्ट्र-गुजराती भाषा से परिचित थे । ___इस प्रकार, प्रस्तुत में, दिग्दर्शन मात्र कराया गया है। इससे विद्वानों का ध्यान, प्रस्तुत ग्रन्थ की बहुमूल्य सामग्री की ओर गया, तो मैं अपना श्रम सफल समझूगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001828
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages312
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, F000, F010, & agam_nishith
File Size17 MB
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