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निशीय : एक अध्ययन
कुछ शब्द :
भाषाशास्त्रियों के लिये कुछ विशिष्ट शब्दों के नमूने नीचे दिये जाते हैं, जो उनको प्रस्तुत ग्रन्थ के विशेष अध्ययन की ओर प्रेरित करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।
वगिह % पाखाना। पाणहारिंग = गोबर एकत्र करने वाला । 'छाण' शब्द ग्राज भी गुजरात में इसी रूप में
प्रचलित है। पुरघरयं = छुरे का घर, हजाम के उस्तरे का घर । खडखडेत = गु० 'खडखडाट'। चेल्लग = चेलो (गु०), शिष्य । पुलिया = पूली (गु०) तृण की गठरी। चुक्कति = चूक जाता है । गुजराती-चूक = भूल । गाह = बदनामी। सली = शाखा। मोटो = लोटो (गु०), लोटा। वाउखग = पुतला। रेक्खिया = पानी की बाढ़ का पा जाना; (गु० रेल) मक्कोडग = ( गु० मकोडा ) बड़ी काली चींटी। जूना = जू (गु०); उद्देहिया = (गु० उवई ) दीमक । कयिका = ( गु० कणिक ) ग्राटे का पिंड । लंच = ( गु० लांच ) घूस । उघेउ%= ( गु० उंघ) निद्रा लेना। मप्पक = ( गु० माप ) नाप । कुहाड = ( गु० कुहाडो) फरसा । खड्डा = गड्डा ( गु० खाडो ) इत्यादि ।
ये शब्द प्रथम भाग में आये हैं, और इन पर से यह सिद्ध होता है कि चूर्णिकार, सौराष्ट्र-गुजराती भाषा से परिचित थे ।
___इस प्रकार, प्रस्तुत में, दिग्दर्शन मात्र कराया गया है। इससे विद्वानों का ध्यान, प्रस्तुत ग्रन्थ की बहुमूल्य सामग्री की ओर गया, तो मैं अपना श्रम सफल समझूगा।
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