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________________ ५८ छठा परिच्छेद गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद वे समुद्र-तट पर आये । वहाँ के रक्षकों को भगाकर धवल सेठ को बन्धन मुक्त किया । धवल सेठ ने देखा कि राजा महाकाल बन्दी के रूप में सम्मुख उपस्थित हैं, तब वह उसे खड्ग ले मारने दौड़ा, किन्तु कुमार ने इसे अनुचित बता कर रोक दिया। यह सब करने के बाद श्रीपाल ने, महाकाल को भी बन्धन - मुक्त कर, अपनी ओर से बहुत सी चीजें भेंट दे, बिदा किया। धवल सेठ के हजारों सैनिक जो युद्ध के समय भाग गये थे, वे फिर आकर इकट्ठे हुए। परन्तु धवल सेठ ने सबों को निकाल दिया। श्रीपाल ने सोचा कि, इन लोगों से किसी समय बहुत काम निकल सकता है, इस लिये उन्होंने उन सबको अपने पास रख लिया और कहा :- "तुम लोग आज से धवल सेठ के बदले मेरे सेवक हुए। आज से तुम्हें मेरी २५० नौकाओं की रक्षा करनी होगी और जो मैं कहूँगा वही करना होगा ।" 1 उधर महाकाल राजा जब युद्ध में पराजित हुआ तो उसके समस्त स्वजन-कुटुम्बी भाग खड़े हुए थे । श्रीपाल ने उन सबको अभय-दान दे, अपने पास बुलाया । यथोचित सत्कार कर उन्हें यथा पूर्व रहने की आज्ञा दी। श्रीपाल का यह व्यवहार देख, महाकाल राजा बहुत ही चकित और प्रसन्न हुआ । उसने श्रीपाल से प्रार्थना की किः - "एक बार आप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001827
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherJain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta
Publication Year2003
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size15 MB
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