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________________ वराङ्ग चरितम् असातावेदनीयेन नरके तीव्र वेदना | तिर्यङ्मानुषयोमिश्रा' सुखं सातात्सुरालये ॥ २६ ॥ द्विविधं मोहनीयं स्याद्दृष्टेश्च चरितस्य च । दर्शनं त्रिविधं प्रोक्तं सम्यङ्मिथ्यात्वमिश्रकम् ॥ २७ ॥ नोकषायः कषायश्च चारित्रावरणं द्विधा । नोकषायो नवविधः कषायः षोडशात्मकः ॥ २८ ॥ हास्यरस्यरतिशोका जुगुप्सा भयमेव च । स्त्रीपुंनपुं सवेदाश्च नोकषाया नव स्मृताः ॥ २९ ॥ क्रोधो मानश्च माया च लोभोऽनन्तानुबन्धिनः । विघातयन्ति सम्यक्त्वं चारित्रं च विशेषतः ॥ ३० ॥ वेद का उदय होनेसे यह जीव नरकमें दारुणसे दारुण दुःखोंको एकान्तरूपसे सहता है। तिर्यंच और मनुष्य गतिमें साता और असातावेदनीय दोनोंका उदय रहता है फलतः सुख दुःख दोनों प्राणीको प्राप्त होते हैं और देवगति में केवल सातावेदनीयका उदय रहनेसे केवल सुख भोग प्राप्त होता है ।। २६ ।। मोहनीय मोहनीय कर्म भी दो प्रकारका होता है, जो जीवकी सामान्य श्रद्धानशक्तिको भ्रान्त कर देता है उसे दर्शन मोहनीय कहते हैं तथा जीवके चरित्रको अन्यथा करनेवालेका नाम चारित्र मोहनीय है। दर्शन मोहनीयके भी सम्यक्त्व मोहनीय, मिथ्यात्व मोहनीय और मिश्र ( सम्यक्त्व-मिथ्यात्व ) मोहनीय ये तीन भेद हैं ।। २७ ।। चारित्र मोहनीयके कषाय और नोकषाय प्रधान रूपसे दो हो प्रकार हैं, लेकिन नोकषाय ( साधारण कषाय ) नौ प्रकार की हैं। इसी प्रकार कषाय के भी अवान्तर भेद सोलह हैं ।। २८ ।। Jain Education International हास्य (हँसना ), रति ( प्रेम या प्रीतिभाव), अरति ( द्वेष, इर्षा आदि ), शोक ( अनुताप, विलाप आदि ), जुगुप्सा ( घृणा ग्लानि आदि), भय, स्त्रीवेद ( पुरुषसे रमण करनेकी इच्छा ), पुवेद ( स्त्रीसे रमण करनेकी प्रकृति), और नपुसकवेद ( स्त्री और पुरुष दोनोंकी द्रव्य तथा भाव शक्तिकी विकलता ) इन नौ परिणतियोंको केवली भगवानने नोकषाय कहा है ।। २९ ।। कषायके मुख्यभेद क्रोध, मान, माया और लोभ ये चार ही हैं, किन्तु, आत्माके चारित्रको नाश करनेके क्रमकी अपेक्षा इनकी भी निम्न चार श्रेणियाँ होती हैं - ( १ ) अनन्तानुबन्धी ( महा संसार बंधके कारण ) क्रोध, मान, माया और लोभ वे हैं। १. क तिग्मानुषयोन्मिश्रं । [ ६३ ] चतुर्थ: सर्गः For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001826
Book TitleVarangcharit
Original Sutra AuthorSinhnandi
AuthorKhushalchand Gorawala
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1996
Total Pages726
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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