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________________ हये रथे वा वरवारणे वा पञ्चायुधेनात्मपराक्रमेण । महाहवे योऽत्र मया युयुत्सुस्तस्यास्मि कालः कथितेन किं वा ॥१०४ ॥ इत्येवमाभाष्य पितुः समीपे तदेव' संप्रेष्य पुनर्घटायाम् । समर्थ्य सम्यग्पितरं सहायैः संप्रेषयामास नृपान्तिकं सः ॥ १०५ ॥ कश्चिद्भटो मे तनयो वरिष्ठः साचिव्यमिच्छुः समराङ्गणे ते । मां प्राहिणोद्देव यदत्र युक्तं तत्संविधत्स्व त्वमकालहीनम् ।। १०६ ॥ पुराप्यशृण्वन्विजयप्रधानास्ते तस्य सर्व श्रुतवीर्यसत्त्वम् । ध्रवं जयो देव तवैव भावी इति ब्रुवाणाः सचिवाः शशंसुः ॥ १०७॥ भावके अनुकूल उसकी चेष्टाएँ भी हो रहीं थीं। वह अपने सामर्थ्य और कर्तव्यको भी जानते थे फलतः वह पुत्रको उत्तर न दे सके थे अपितु चुप ही रह गये थे ॥ १०३ ।। इस महायुद्धमें जो भी आश्वारोही, रथी योद्धा तथा मदोन्मत्त हाथी पर आरूढ़ वीर, मेरे साथ खड्ग, वाण, आदि प्रसिद्ध पांच शस्त्रों तथा अपने पराक्रमके द्वारा मुझसे युद्ध करना चाहेगा आप इतना विश्वास रखें मैं उसका शुद्ध काल (यम) ही सिद्ध होऊँगा । और अधिक तो आपसे कहूँ ही क्या ॥ १०४ ॥ पित्ताकी सान्त्वना ___ इत्यादि वचनोंको पिताके सामने कहकर उसे ढाढस दिलाया था तथा उसी समय अपनी व्यवस्थाको जमानेके लिए उसे ही राज्य सभामें भेजा था। उसने सहायकोंके साथ अपने धर्मपिताका भली भांति समर्थन करके उसे महराज देवसेनको सभाको चलता किया था ।। १०५ ॥ सेठका प्रस्ताव अवस्था तथा योग्यताओंमें ज्येष्ठ मेरा पुत्र कश्चिद्भट आपके इस युद्ध में आपका सहगामी होनेके लिये परम उत्कण्ठित है। इसी अभिलाषाको आपके सामने रखनेके लिए उसने मुझे आपके चरणोंमें भेजा है। हे देव ? इस दिशामें आप जो कुछ भी उचित समझें, वह समय गंवाये बिना शीघ्र ही करें ।। १०६ ।। वीरका स्वागत श्रीविजय आदि प्रधान मंत्रियोंने पहिलेसे ही सब सुन रखा था कि 'कश्चिद्भटका पराक्रम तथा सामर्थ्य अद्भुत है ! फलतः उन्होंने कहा था 'हे महाराज निश्चयसे आपकी ही विजय होनेवाली है'। यह कहते हुए उन सबने उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। १०७॥ [३०७) १.[तमेव]। २.[गमे ] | Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001826
Book TitleVarangcharit
Original Sutra AuthorSinhnandi
AuthorKhushalchand Gorawala
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1996
Total Pages726
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size16 MB
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