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आचार्यश्री जटासिंहनन्दि विरचित
वरांगचरित
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मुल सम्पादक डॉ० आ० ने उपाध्यो
AA-ARNERBE
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अनुवादक प्रो० खुशालचन्द्र जी गोराबाला
भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद्
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