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________________ छह लेश्याएं : चेतना में उठी लहरें है कि इन सभी ने अपने जाग्रत महापुरुषों के चहरों के आस-पास प्रभा-मंडल बनाया है। वह प्रभा-मंडल खबर देता है उस अंतिम की घड़ी की, जहां, जब चेहरे के आस-पास श्वेत आभा प्रगट होती है, शुभ्र आभा प्रगट होती है। __ हमारे चेहरे के आसपास सामान्यतया काली आभा होती है, और या फिर बीच की आभाएं होती हैं । प्रत्येक आभा भीतर की अवस्था की खबर देती है। अगर आपके आस-पास काला आभा-मंडल है, ऑरा है, तो आपके भीतर भयंकर हिंसा, क्रोध, भयंकर कामवासना होगी। आप उस अवस्था में होंगे, जहां आपको खुद भी नुकसान हो तो कोई हर्ज नहीं, दूसरे को नुकसान हो तो आपको आनंद मिलेगा। खुद को नुकसान पहुंचाकर भी अगर दूसरे को नुकसान पहुंचा सकें तो आप प्रसन्न होंगे। कृष्ण लेश्या की अवस्था का आदमी ऐसा होगा। मैंने सुना है कि एक आदमी मरा, तो उसने अपने बेटों को पास बुलाया और उनसे कहा कि मेरी आखिरी मर्जी पूरी कर देना । लेकिन बड़े बेटे तो सब समझदार थे, बाप को भलीभांति जानते थे कि वह उपद्रवी है । और आखिरी मर्जी कुछ ऐसी न उलझा जाये कि हम फंस जायें जिंदगीभर को तो, वे तो दूर ही बैठे रहे । छोटा बेटा नासमझ था; उसे कुछ पता नहीं था बाप की हरकतों का । वह पास आ गया... और मरता बाप! उसने कहा, 'पहले वचन दे कि मेरी बात तू पूरी करेगा। उसने कहा कि 'मरते हुए पिता की बात पूरी नहीं करूंगा तो क्या करूंगा? आप कहें।' तो उसने कहा कि 'तू ही मेरा असली बेटा है।'...उसके कान में कहा, 'एक काम करना, जब मैं मर जाऊं तो मेरी लाश के टुकड़े करके मुहल्ले के लोगों के घरों में फेंक देना, और पुलिस में रिपोर्ट कर देना कि इन लोगों ने मार डाला । मेरी आत्मा को इतनी प्रसन्नता होगी, जब मैं देखूगा कि चले हैं हथकड़ियों में बंधे सब!' यह कृष्ण लेश्या का आदमी है। इसको अपनी फिक्र नहीं है। पंचतंत्र में बड़ी पुरानी कथा है कि एक आदमी भक्त था शिव का, और बड़े दिनों से प्रार्थना, बड़े दिनों से पूजा कर रहा था। आखिर शिव ने कहा कि 'भाई, तू क्यों पीछे पड़ा है, क्या चाहता है?' आखिर आपकी प्रार्थना-पूजा से निश्चित घबड़ा जाते होंगे! शिव के संबंध में एक और कथा है, कि भक्त इतनी ज्यादा पजा-प्रार्थना करने लगे कि उन्होंने नाराज होकर कहा कि तुम जाओ, सब कबूतर हो जाओ। वह जो शिव की पिंडी के आस-पास कबूतर घूमते हैं, वे भक्त हैं पुराने। इस आदमी ने जब बहुत परेशान कर दिया तो शिव ने पूछा, 'तू आखिर चाहता क्या है?' उसने कहा कि 'बस, एक...कि जो भी मैं मांगू, वह सदा पूरा किया जाये। तो शिव ने एक बड़ी उलटी शर्त रख दी। उन्होंने कहा कि होगा पूरा, लेकिन जो भी तू मांगेगा, वह तेरे लिए तो पूरा होगा ही, उससे दो-गुना तेरे पड़ोसियों के लिए होगा। __ उस आदमी ने कहा, 'मार डाला! मतलब ही खत्म हो गया! मैं मांगू महल, पड़ोसी को मिल जायें दो महल। मैं मांगूं हीरा, पड़ोसियों को, सबको मिल जायें दो-दो हीरे । मतलब ही खो गया; बेकार कर दी सारी बात!' । ___ बड़ा चिंतित रहा। कई दिन तक कुछ भी नहीं मांगा। फिर सोचा कि किसी वकील से सलाह ले लूं, कुछ तो रास्ता हो ही सकता है। हर कानून से कोई न कोई रास्ता तो निकल ही आता है । वकील ने कहा कि इसमें घबड़ाने की क्या बात है? तू ऐसी चीजें मांग कि पड़ोसी मुश्किल में पड़ जायें । तू कह कि मेरी एक आंख फोड़ दे भगवान, उनकी दोनों फूट जायेंगी। वह आदमी नाचता हुआ घर लौटा। उसने कहा, गजब हो गया! यह खयाल ही नहीं आया। फिर तो सूत्र हाथ लग गया। फिर तो उसने कहा कि मेरी एक आंख फोड़ दे। उसकी एक आंख फूटी, पड़ोसियों की दोनों फूट गईं। इतने से मन न भरा-उसने कहा कि मेरे घर के सामने एक कुआं खोद दे।' उसके घर के सामने एक कुआं खुदा, पड़ोसियों के सामने दो कुएं खुद गये। अब जब लोग गिरने लगे कुओं में-अंधे सारे पड़ोसी-तब उसके आनंद की सीमा न रही। 279 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001821
Book TitleMahavira Vani Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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