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आत्मा का लक्षण है ज्ञान
कोई सुरक्षा । खोजते तो परतंत्रता हैं। ___ एक आदमी धन इकट्ठा कर रहा है। वह सोचता है कि धन होगा, तो मैं स्वतंत्र हो जाऊंगा। क्योंकि जितना धन होगा, उतनी शक्ति होगी। लेकिन होता यह है कि जितना धन हो जाता है, उतना वह परतंत्र होता है। अमीर आदमी से गरीब आदमी खोजने बहुत मुश्किल हैं। उनका खयाल होता है कि पैसों की मालकियत उनके पास है, लेकिन पैसा मालिक हो जाता है। एक कौड़ी भी छोड़ना मुश्किल हो जाता है, एक पैसा भी छोड़ना मुश्किल हो जाता है।
राकफैलर लन्दन आया तो एक होटल में ठहरा और उसने आते ही पूछा कि सबसे सस्ता कमरा कौनसा है?' अखबारों में फोटो उसका निकला था। मैनेजर पहचान गया। उसने कहा कि आप राकफैलर मालूम होते हैं, और आप सस्ता कमरा खोजते हैं? और आपके बेटे यहां आते हैं तो सबसे कीमती कमरा खोजते हैं। तो राकफैलर ने ठंडी सांस भरकर कहा कि 'दे आर मोर फारच्युनेट, दे हैव ए रिच फादर, आई ऐम नाट सो—मैं इतना भाग्यशाली नहीं हूं, मैं एक गरीब बाप का बेटा हूं। वे मौज कर रहे हैं, उड़ा रहे हैं, वे एक अमीर बाप के बेटे हैं।'
धन स्वतंत्रता देता होगा, ऐसा हमारा खयाल है—देता नहीं, परतंत्रता देता है। सम्राट को लगता होगा कि वह स्वतंत्र है. क्योंकि इतनी शक्ति उसके पास है। लेकिन जितनी शक्ति इकट्ठी होती है, उतना परतंत्र हो जाता है, उतना घिर जाता है, उतना मुश्किल में पड़ जाता है।
प्रेम में हमें लगता है कि प्रेम से स्वतंत्रता मिलेगी-मिलनी चाहिये, लेकिन मिलती नहीं । जिसके भी प्रेम में आप पड़ते हैं, परतंत्रता शुरू हो जाती है। पत्नी पति को बांधने की कोशिश में लगी है, पति पत्नी को बांधने की कोशिश में लगा है। दोनों के हाथ एक दूसरे की गर्दन पर हैं। दोनों कोशिश में लगे हैं कि दसरे को किस भांति बिलकल वस्त की तरह. पदार्थ की तरह कर दें। और दोनों सफल हो जाते हैं, एक दूसरे को गुलाम बना लेते हैं । इसलिए बहादुर से बहादुर पति जब घर की तरफ आता है, तब देखें, तब उसके हाथ-पैर कंपने लगते हैं । तब वह तैयारी करने लगता है कि अब क्या करें । क्योंकि जिससे भी हम प्रेम करते हैं, वहीं परतंत्रता शुरू हो जाती है। _प्रेम का मतलब हुआ कि हमने अपने को जरा भी शिथिल छोड़ा कि दूसरे ने हम पर कब्जा किया। हमने जरा ही अपने अस्त्र-शस्त्र हटाकर रखे कि दूसरा हम पर हावी हुआ। और आप भी इसी कोशिश में लगे हैं कि आप हावी हो जायें। बाप बेटे पर हावी होने की कोशिश में लगा है, बेटे बाप पर हावी होने की कोशिश में लगे हैं। ___ हमारे पूरे जीवन की चेष्टा यही है कि हम मालिक हो जायें। लेकिन आखिरी परिणाम यह होता है कि हम न मालुम कितने लोगों के गुलाम हो जाते हैं । निश्चित ही, कहीं गहरे में हम स्वतंत्रता से डरते हैं । थोड़ी देर सोचें कि अगर आप अकेले रह जायें पृथ्वी पर तो क्या आप पूरे स्वतंत्र होंगे क्योंकि कोई परतंत्र करनेवाला नहीं होगा, तो कोई उपाय ही नहीं होगा। लेकिन क्या आप अकेले होने पसंद करेंगे?
ब भोजन की सुविधा हो-सब हो, लेकिन आप अकेले हों, सारा जीवन का रस चला जायेगा। पूरी तरह स्वतंत्र होंगे, लेकिन रस बिलकुल खो जायेगा। __ स्वतंत्रता में हमारा रस ही नहीं है, इसलिए लोग मोक्ष की बात सुनते हैं, लेकिन मोक्ष को खोजने नहीं जाते । महावीर कहते हैं कि बंध, परतंत्रता हमारे जीवन का एक तथ्य है। हम बंधन चाहते हैं-कोई बांध ले। फिर बड़े मजे की बात है कि कोई न बांधे, तो हमें बरा लगता है, और कोई बांधे, तो बुरा लगता है। __ एक फिल्म अभिनेता से उसका एक मित्र पूछ रहा था कि तुम जरूर थक जाते होओगे, क्योंकि जहां भी तुम जाते हो, वहीं इतनी भीड़ घेर लेती है, लोग हस्ताक्षर मांगते हैं, धक्कम-धुक्की होती है-तुम जरूर थक जाते होओगे? तुम जरूर ऊब गये होओगे?' तो उसने कहा कि बिलकुल ऊब गया हूं, लेकिन इससे भी एक बुरी चीज है, और वह यह है कि कोई न घेरे और कोई हस्ताक्षर न मांगे—उससे
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