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________________ महावीर वाणी भाग : 1 कोई चिंतित होगा, सूरज दिखाई ही नहीं पड़ेगा। कोई कविता से भरा होगा और सूरज पूरा जीवन और आत्मा बन जायेगी। कहा नहीं जा सकता, यह निजी सत्य है । महावीर बारह वर्ष तक चुप रह गये, क्योंकि सत्य बोलना बहुत कठिन है। इसलिए महावीर कहते हैं, इस प्रकार का सत्य बोलना सदा बड़ा कठिन । ऐसा सत्य जो बोलना चाहता हो उसे लंबे मौन से गुजरना पड़ेगा। गहरे परीक्षण से गुजरना पड़ेगा । और तब महावीर ने बोला । इसलिए अगर जैन यह कहते हैं कि महावीर जैसी वाणी फिर नहीं बोली गयी तो इसका कारण है। महावीर जैसा मौन भी कभी नहीं साधा गया । इसलिए महावीर जैसी वाणी भी फिर नहीं बोली गयी। इतने मौन से, इतने परीक्षण से, इतनी कठिनाइयों से, इतनी कसौटियों से, गुजरकर जो आदमी बोलने को राजी हुआ, उसने जो वह बोला है वह बहुत गहरा और मूल्य का ही है। नहीं तो वह बोलता ही नहीं । 'श्रेष्ठ साधु पापमय, निश्चयात्मक, और दूसरों को दुख देने वाली वाणी न बोले ।' श्रेष्ठ साधु पापमय, निश्चयात्मक, सर्टेन बातें न बोले । ऐसा न कह दे कि वह आदमी चोर है। इतना निश्चयात्मक होना असत्य की तरफ ले जाता है I यह बड़ी अदभुत बात है, यह थोड़ा सोच लेने जैसी बात है। हम तो कहेंगे कि सत्य निश्चय होता है। लेकिन महावीर कहते हैं, सत्य इतना बड़ा है कि हमारे किसी निश्चित वाक्य में समाहित नहीं होता। जब हम कहते हैं, फलां आदमी पैदा हुआ, तब यह अधूरा सत्य है, क्योंकि उस आदमी ने मरना शुरू कर दिया । संत अगस्तीन ने लिखा है, उसका बाप मर रहा है। मरण शैय्या पर पड़ा है। डाक्टर इलाज कर रहे हैं। आखिर इलाज काम नहीं आया। एक दिन तो काम आता नहीं। कभी न कभी डाक्टर हारता है, और मौत जीतती है। वह लड़ाई हारनेवाली ही है। डाक्टर बीच-बीच में कितना ही जीतता रहे, आखिर में हारेगा ही। उस लड़ाई में अंतिम जीत डाक्टर के हाथ में नहीं है, सदा मौत हाथ में है । इसलिए मामला ऐसा है, जैसे एक बिल्ली को आपने चूहा दे दिया, वह उससे खेल रही है। वह छोड़ देती है, क्योंकि छोड़ने में मजा आता है। फिर पकड़ लेती है। फिर छोड़ देती है। उससे चूहा चौंकता है, भागता है, और बिल्ली निश्चिंत है, क्योंकि अंत में वह पकड़ ही लेगी। यह सिर्फ खेल है। तो मौत आदमी के साथ ऐसे ही खेलती है। ! कभी छोड़ देती है, जरा बीमारी ज्यादा बीमारी छोड़ दी... डाक्टर बड़ा प्रसन्न ! मरीज भी बड़ा प्रसन्न ! और मौत सबसे ज्यादा प्रसन्न क्योंकि वह खेल चलता है, क्योंकि जीत निश्चित है। इस खेल में कोई अड़चन नहीं है। कभी चूहा बिल्ली से चूक भी जाये, मौत से आदमी नहीं चूकता। डाक्टर इकट्ठे हुए, सारे गांव के डाक्टर इकट्ठे हो गए और उन्होंने कहा, नाउ वी आर हेल्पलेस । नाउ नथिंग कैन बी डन । नाउ दिस मैन कैन नाट रिकवर । अब कुछ हो सकता नहीं, अब यह आदमी मरेगा ही। नाउ दिस मैन कैन नाट रिकवर । अगस्तीन ने अपने संस्मरणों में लिखा है कि उस दिन मुझे पता चला कि जो बात डाक्टर मरते वक्त कहते हैं यह जब बच्चा पैदा होता है तभी कहनी चाहिए, नाउ दिस चाइल्ड कैन नाट रिकवर। यह बच्चा जो पैदा हो गया, अब नहीं बच सकता। उसी दिन कह देना चाहिए कि नाउ दिस चाइल्ड कैन नाट रिकवर। पैदा होने के बाद मौत से बच सकते हैं ? फिजूल इतने दिन रुकते हैं कहने के लिए कि नाउ दिस मैन कैन नाट रिकवर। उसी दिन कह देना चाहिए। महावीर कहते हैं, निश्चयात्मक मत होना, अगर सत्य होना है तो । सत्य होने का मतलब ही यह है कि जीवन है अनंत पहलुओं Jain Education International 398 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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