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सत्य सदा सार्वभौम है
आदमी बड़ी घटना है, कृत्य बड़ी छोटी बात है। चोर भी आपस में सत्य बोलते हैं और ईमानदार होते हैं। और जिनको हम साधु कहते हैं, उनसे ज्यादा सत्य बोलते हैं आपस में, और ज्यादा ईमानदार होते हैं। दस साधुओं को पास बिठाना मुश्किल है, दस चोर गले मिल जाते हैं। दस साधुओं को इकट्ठा करना ही मुश्किल है। पहले तो इस पर ही झगड़ा हो जायेगा कि कौन कहां बैठे; कौन नीचे बैठे. कौन ऊपर बैठे। किसी चोर में कभी झगडा नहीं हआ है इस बात पर ।
साधु के भीतर भी असाधु छिपा है, चोर के भीतर भी साधु छिपा है। चोर की चोरी बाहर है, पीछे साधु छिपा है। चोरी भी करनी हो तो वचन मानना पड़ता है, नियम मानने पड़ते हैं, सच्चाई रखनी पड़ती है, ईमानदारी रखनी पड़ती है।
सुना है कि मुल्ला नसरुद्दीन पर चोरी का एक मुकदमा चला। पकड़ इसलिए गया कि वह सात बार एक ही रात में एक दुकान में घुसा। सातवीं बार पकड़ा गया। मजिस्ट्रेट ने उससे पूछा कि नसरुद्दीन, चोरी भी हमने बहुत देखी, मुकदमे भी बहुत देखे। एक ही रात में सात बार घुसना, एक ही मकान में, मामला क्या है ? अगर ज्यादा ही सामान ढोना था, तो संगी साथी क्यों नहीं रखते हो ? अकेले ही सात दफा!
नसरुद्दीन ने कहा, 'बड़ा मुश्किल है। लोग इतने बेईमान हो गये हैं कि किसी को संगी साथी बनाना चोरी तक में मुश्किल हो गया है। एक ओर दुकान भी कपड़े की, जो भी चुरा कर ले गया, पत्नी ने कहा, नापसंद है। फिर वापस। रात भर कपड़े ढोता रहा, उसमें ही फंसा। और लोग इतने बेईमान हो गये हैं कि अकेले ही चोरी करनी पड़ती है। किसी का भरोसा नहीं किया जा सकता, चोरी तक में।' साधुओं में तो कभी भरोसा आपस में रहा नहीं, लेकिन चोरों में सदा रहा है। ___ और चोर कभी चोर को धोखा नहीं देता। चोरी का भी कोड है। जैसे हिंदू कोड बिल है वैसा चोरों का कोड है। उनका अपना नियम है, वे कभी धोखा नहीं देते। ___ महावीर कहते हैं, जब हम किसी को चोर कहते हैं, तो हम पूरा ही चोर कह देते हैं, जो कि गलत है। जब हम किसी को साधु
कहते हैं तो पूरा ही साधु कह देते हैं जो कि गलत है। जीवन मिश्रण है, सभी चीजें मिली-जुली हैं। मत कहो। बड़ा मुश्किल है। फिर क्या बोलिएगा? क्या बोलिएगा। ___ एक आदमी कहता है, सुबह सूरज निकला है, बड़ा सुंदर है। यह सत्य है? मुश्किल है कहना, क्योंकि यह सत्य निजी सत्य है।
और एक का निजी सत्य दूसरे का निजी सत्य न भी हो। जिसका बच्चा आज सुबह मर गया है, सूरज आज उसे सुंदर नहीं मालूम पड़ेगा। तो सूरज सुंदर है, यह निजी सत्य है। यह एब्सलूट सत्य नहीं है। जिसका बच्चा मर गया है वह रो रहा है, और आज वह चाहता है कि सूरज उगे ही न। अब कभी सूरज न उगे। अब दिन कभी हो ही न। अब अंधेरा ही छा जाये, और सब रात ही हो जाये। अब यह सूरज उसे दुश्मन की तरह मालूम होगा, जब सुबह उगेगा। यह सुंदर नहीं हो सकता।
सूरज कब सुंदर होता है? जब आपके भीतर सूरज को सुंदर बनाने की कोई घटना घटती है। सूरज असुंदर हो जाता है, जब आपके भीतर सुरज को अंधेरा करने की कोई घटना घट जाती है। ___ आप अपने को ही फैलाकर जगत में देखते रहते हैं। तो जो आप देखते हैं वह निजी सत्य है, प्राइवेट थ। और सत्य कभी निजी नहीं होता। असत्य निजी होते हैं। सत्य तो सार्वजनिक होता है, यूनिवर्सल होता है। सार्वभौम होता है। इसलिए महावीर कहेंगे, शायद सूरज सुंदर है। कभी न कहेंगे कि सूरज सुंदर है। कहेंगे, शायद, परहेप्स। क्यों? महावीर एक कहेंगे कभी कि ऐसा है। वे ऐसा कहेंगे, हो सकता है। वे यह भी कहेंगे, इससे विपरीत भी हो सकता है।
यह सूरज हजारों लाखों लोगों के लिए निकला है। कोई दुखी होगा, सूरज असुंदर होगा। कोई सुखी होगा, सूरज सुंदर होगा।
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