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महावीर-वाणी
भाग : 1
समय तो बीत जायेगा, फिर लौटकर नहीं आता, लेकिन उस समय में हमने जो किया है, वह हमारे साथ रह जाता है। वह कभी नहीं खोता इस बात को ठीक से समझ लें।
समय तो कभी नहीं लौटता, लेकिन समय में जो घटता है, वह कभी नहीं जाता। वह सदा साथ रह जाता है। तो मैंने क्या किया है समय में, उससे मेरी आत्मा निर्मित होती है। महावीर ने तो आत्मा को समय का नाम ही दे दिया है। महावीर ने तो कहा है, आत्मा, यानी समय। ऐसा किसी ने भी दुनिया में नहीं कहा। क्योंकि महावीर ने कहा कि समय तो खो जायेगा, लेकिन समय के भीतर तुमने क्या किया है, वही तुम्हारी आत्मा बन जायेगी, वही तुम्हारा सृजन है।
तो हम समय के साथ विध्वंसक हो सकते हैं, सजनात्मक हो सकते हैं। विध्वंसक का अर्थ है कि हम जो भी कर रहे हैं उससे हमारी आत्मा निर्मित नहीं हो रही है। झूठ बोलने से एक आदमी की आत्मा निर्मित नहीं होती। चोरी करने से आत्मा निर्मित नहीं होती। धन मिल सकता है, झूठ बोलने से यश मिल सकता है। सच तो यह है कि बिना झूठ बोले यश पाना बड़ा मुश्किल है। बिना चोरी किए
धन पाना बहुत मुश्किल है। जब धन मिलता है तो निन्यानबे प्रतिशत चोरी के कारण मिलता है, एक प्रतिशत शायद बिना चोरी के मिलता हो। जब प्रतिष्ठा मिलती है तो निन्यानबे प्रतिशत झूठ, प्रचार से मिलती है; एक प्रतिशत शायद, उसका कोई निश्चय नहीं है।
एक बात तय है कि अधर्म से जो भी मिलता है, उससे आपकी आत्मा निर्मित नहीं होती। अधर्म से जो भी मिलता है, वह आत्मा की कीमत पर मिलता है। बाहर तो कुछ मिलता है, भीतर कुछ खोना पड़ता है। हम हमेशा मूल्य चुकाते हैं। ___ जब आप झूठ बोलते हैं, तो मैं इसलिए नहीं कहता कि झूठ मत बोलें, कि इससे दूसरे को नुकसान होगा। दूसरे को होगा कि नहीं होगा, यह पक्का नहीं है। आपको निश्चित हो रहा है, यह पक्का है। दूसरा अगर समझदार हुआ, तो आप के झूठ से कोई नुकसान नहीं होने वाला है; और दूसरा अगर नासमझ है, तो आपके सत्य से भी नुकसान हो सकता है।
दूसरा महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण आप हैं। अंततः जब आप कुछ भी गलत कर रहे हैं, तो आप भीतर आत्मा के मूल्य में चुका रहे हैं; व्यर्थ का एक कंकड़, इकट्ठा कर रहे हैं और भीतर एक आत्मा का खण्ड खो रहे हैं। महावीर इसको असफलता कहते हैं कि एक आदमी जीवन में सब कुछ इकट्ठा कर ले और आखिर में पाये, कि खुद की धुरी टूट गयी, सब पा ले और आखिर में पाये, कि खुद को खोकर पाया है यह, तब मृत्यु के क्षण में जो पछतावा होता है, लेकिन तब समय वापस नहीं आ सकता।
पुनर्जन्म की सारी भारतीय धारणाएं इसीलिए हैं कि पिछला समय तो वापस नहीं आ सकता। नया समय आपको दुबारा मिलेगा। पुराने समय को लौट आने का कोई उपाय नहीं, लेकिन नया जन्म मिलेगा। फिर से नया समय मिलेगा। लेकिन जिन्होंने पुराने समय में मजबूत आदतें निर्मित कर ली हैं, संस्कार भारी कर लिए हैं, वे नये समय का फिर से वैसा ही उपयोग करेंगे।
थोड़ा सोचें, अगर कोई आपसे कहे कि आपको हम फिर से जन्म दे देते हैं; आपका क्या करने का इरादा है? तो आप क्या करेंगे? सोचें थोड़ा, तो आप पायेंगे कि जो आपने अभी किया है, थोड़ा बहुत माडिफाइड, इधर-उधर थोड़ा बहुत हेर-फेर, पत्नी थोड़ी और अच्छी नाकवाली चुन लेंगे, कि मकान थोड़ा और नये डिजाइन का बना लेंगे। करेंगे क्या? ___ मुल्ला नसरुद्दीन से मरते वक्त किसी ने पूछा था कि फिर से जन्म मिले तो क्या करोगे? तो उसने कहा, जो पाप मैंने बहुत देर से शुरू किये, वे जल्दी शुरूकर दूंगा, क्योंकि जो पाप मैंने किये, उनके लिए मुझे कोई पछतावा नहीं होता। जो मैं नहीं कर पाया हूं, उनका हमेशा मुझे पछतावा रहता है। __ आप ही खयाल करना, पाप का पछतावा बहुत कम लोगों को होता है। जो आप पाप नहीं कर पाये, उसका पछतावा सदा बना रहता है। और करके पछताना उतना बुरा नहीं है, न करके पछताना बिलकुल व्यर्थ है।
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