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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 नहीं है कि वह केवल एक मंत्र के जाप से स्वयं को सुला लेने का प्रयोग है। और किसी भी शब्द की पुनरुक्ति अगर आप करते जाएं तो तंद्रा आ जाती है किसी भी शब्द की। शब्द की पुनरुक्ति से तंद्रा पैदा होती है, हिप्रोसिस पैदा होती है। असल में किसी भी शब्द की पुनरुक्ति से बोर्डम पैदा होती है, ऊब पैदा होती है। ऊब नींद ले आती है। तो किसी भी मंत्र के प्रयोग का अगर आप इस तरह प्रयोग करें कि वह आपको ऊब में ले जाए, उबा दे, घबरा दे, नाविन्य न रह जाए उसमें, तो मन ऊबकर पुराने से परेशान होकर तंद्रा में और निद्रा में खो जाता है। जिन लोगों को नींद की तकलीफ है उनके लिए यह प्रयोग फायदे का है, लेकिन न तो यह ध्यान है, न भावातीत है। और नींद की बहुत लोगों को तकलीफ है, उनके लिये यह फायदा है, लेकिन इस फायदे से ध्यान का कोई संबंध नहीं है। वह फायदा गहरी नींद का ही फायदा है। __गहरी नींद अच्छी चीज है, बुरी चीज नहीं है। इसलिए मैं नहीं कह रहा हूं कि महेश योगी जो कहते हैं वह बुरी चीज है। बड़ी अच्छी चीज है, लेकिन उसका उपयोग उतना ही है जितना किसी भी ट्रॅक्वेलाइजर का है। ट्रॅक्वेलाइजर से भी अच्छी है क्योंकि किसी दवा पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है, भीतरी तरकीब है। भीतरी ट्रिक है। और इसलिए पूरब में महेश योगी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा, पश्चिम में बहुत पड़ा। क्योंकि पश्चिम अनिद्रा से पीड़ित है, पूरब अभी पीड़ित नहीं है। इसका बुनियादी कारण वही है। पश्चिम इंसोमेनिया से परेशान है, नींद बड़ी मुश्किल हो गयी है। नींद पश्चिम में एक सुख अनुभव हो रहा है, क्योंकि उसे पाना मुश्किल हो गया है। पूरब में नींद का कोई सवाल नहीं है अभी भी। हां, पूरब जितना पश्चिम होता जाएगा उतना नींद का सवाल उठता जाएगा। ___तो पश्चिम में जो लोग महेश योगी के पास आए वे असल में नींद की तकलीफ से परेशान लोग हैं, सो भी नहीं सकते। वे वह तरकीब भूल गए जो कि प्राकृतिक तरकीब थी, वह भूल गए हैं, वह जो नेचुरल प्रोसेस थी सोने की वह भूल गए हैं। उनको आर्टीफिशियल टेकनीक की जरूरत है जिससे वे सो सकें। लेकिन दो-तीन महीने से ज्यादा कोई उनके पास नहीं रहेगा, भाग जाएगा। क्योंकि जब उसे नींद आने लगी तो बात खत्म हो गयी। तब वह कहेगा कि ध्यान चाहिए। नींद तो हो गयी ठीक है, लेकिन अब, आगे? वह आगे खींचना मश्किल है, क्योंकि वह प्रयोग कल जमा नींद का है। महावीर मूर्छा विरोधी हैं, इसलिए महावीर ने ऐसी भी किसी पद्धति की सलाह नहीं दी जिससे मूर्छा के आने की जरा-सी भी सम्भावना हो। यही महावीर के और भारत के दूसरी पद्धतियों का भेद है। भारत में दो पद्धतियां रही हैं। कहना चाहिए सारे जगत में दो ही पद्धतियां हैं ध्यान की। मूलतः दो तरह की पद्धतियां हैं-एक पद्धति को हम ब्राह्मण पद्धति कहें और एक पद्धति को हम श्रमण पद्धति कहें। महावीर की जो पद्धति है उसका नाम श्रमण पद्धति है। दूसरी जो पद्धति है वह ब्राह्मण की पद्धति है। ब्राह्मण की पद्धति विश्राम की पद्धति है। वह इस बात की पद्धति है जिसे हम कहें-रिलैक्जेशन। परमात्मा में अपने को विश्राम करने दें, छोड दो ब्रह्म में अपने को, विश्राम करने दें। ___महावीर ने किसी ब्राह्मण पद्धति की सलाह नहीं दी। उन्होंने कहा है कि विश्राम में बहुत डर तो यह है, सौ में निन्यानबे मौके पर डर यह है कि आप नींद में चले जाएं। सौ में निन्यानबे मौके पर डर यह है कि आप नींद में चले जाएं। क्योंकि विश्राम और नींद का गहरा अंतर-संबंध है और आपके जन्मों-जन्मों का एक ही अनुभव है कि जब भी आप विश्राम में गए हैं तभी आप नींद में गए हैं। तो आपके चित्त की एक संस्कारित व्यवस्था है कि जब भी आप विश्राम करेंगे, नींद आ जाएगी। इसलिए जिनको नींद नहीं आती है उनको डाक्टर सलाह देता है रिलैक्जेशन की, शिथिलीकरण की, शवासन की कि तुम विश्राम करो। शिथिल हो जाओ तो नींद आ जाएगी। इससे उल्टा भी सही है। अगर कोई विश्राम में जाए तो बहुत डर यह है कि वह नींद में न चला जाए। इसलिए जिसे विश्राम में जाना है उसे बहत दूसरी और प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ेगा, जिनसे नींद रुकती हो, अन्यथा विश्राम नींद बन जाती है। 320 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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