________________
विनय : परिणति निरअहंकारिता की
पिता को मजा आ रहा है, मां को मजा आ रहा है, पत्नी मजा ले रही है, तो हर्जा क्या है इस खेल को चलने में? चलने दो। इस खेल को खेलो। अगर तुम जिद्द करते हो कि नहीं चलने देंगे तो तुम भी इसको खेल नहीं मानते, तुम भी समझते हो बड़ी कीमती चीज है। तुम भी सीरियस हो, तुम भी गंभीर हो कि अगर नहीं होगा तो कुछ फायदा होगा। जिस चीज के होने से फायदा नहीं हो रहा है, उसके न होने से क्या खाक फायदा होगा। जिसके होने तक से फायदा नहीं हो रहा है, उसके न होने से क्या फायदा हो सकता है? तो मैंने उनसे कहा, चीज इतनी बेकार है कि तुम बाधा मत डालना।
बोले, आप और यह कहते हैं! मैं तो यही समझा कि आप कहेंगे कि टूट पड़ो, बिलकुल होने ही मत देना। मैं क्यों कहूंगा, ऐसा फिजूल काम, और इतना रस आ रहा हो घर के लोगों को तो-सो इनोसेंट गेम-इतना सरल खेल कि एक लडके के गले में माला-वाला डालनी है. सिर घटाना-तो खेलने दें: इसमें क्या हर्ज है? और आदमी बच्चों जैसे हैं. उनको खेल चाहिए ही। अगर खेल न हो तो जिंदगी उदास हो जाती है। इसलिए हम जन्म को भी खेल बनाते; फिर यज्ञोपवीत का खेल खेलते; फिर शादी आती है, उसका खेल चलता। मर जाता है आदमी, तब भी हम खेल बंद नहीं करते। अर्थी निकालते, वह भी उत्सव है, समारोह है, बैंड बाजा आदमी को आखिर तक पहुंचा आता है। बस एक लंबा खेल है। पर आदमी बिना खेल के नहीं जी सकता है। इसलिए जिन समाजों में खेल कम हो गए हैं वहां जीना मुश्किल हो गया है, क्योंकि आदमी तो वही का वही है। तो महावीर जैसा आदमी बिना खेल के जी सकता है। लेकिन बिना खेल के कोई तभी जी सकता है जब उसे वास्तविक जीवन का पता चल जाए। वास्तविक जीवन का पता न हो तो इस जीवन को, जिसे हम जीवन कह रहे हैं, यह तो बिना खेल के नहीं जिया जा सकता है। इसमें खेल रखने ही पड़ेंगे। __ पश्चिम में यह दिक्कत खड़ी हो गयी, तीन सौ साल में पश्चिम के विचारक लोगों ने, जिनको मैं बहुत विचारशील नहीं कहूंगा चाहे वाल्तेयर हों और चाहे बटैंड रसेल हों, उन सबने पश्चिम के सब खेल निंदित कर दिए और कहा कि सब खेल बेकार हैं। यह क्या कर रहे हो? यह सब गडबड है। इसमें क्या फायदा है? फायदा कोई बता न सका। अगर आप बच्चों से पूछे कि रहे हो, इसमें क्या फायदा है? अगर आप बच्चों से पूछे कि तुम गेंद इस कोने से उस कोने फेंकते हो, उस कोने से इस कोने में फेंकते हो, इसमें क्या फायदा है? क्या फायदा है! तो मुश्किल में पड़ जाएंगे, फायदा तो बता नहीं सकेंगे। फायदा नहीं बता सकेंगे तो आप कहेंगे, बंद करो। क्योंकि जब फायदा ही नहीं तो क्यों खेलना है। ___ बच्चे बंद कर देंगे, लेकिन मुश्किल में पड़ जाएंगे, क्योंकि बच्चे क्या करेंगे? वह जो शक्ति बचेगी, उसका क्या होगा? वह जो खेलने में निकल जाता था, वह अब उपद्रव में निकलेगा। सारी दुनिया में बच्चों ने जितने खेल कम कर दिए हैं-सब स्कूलों ने बच्चों के खेल छीन लिए। अब बच्चों ने नए खेल निकाले हैं। आप समझते हैं वह उपद्रव है। वे सिर्फ खेल हैं। वे गेंद फेंककर मजा ले लेते हैं, अब नहीं फेंकने देते तो वे पत्थर फेंककर चीजें तोड़ रहे हैं। वह मामला वही है। आपने सब खेल छीन लिए तो उनको नए खेल ईजाद करने पड़ रहे हैं और वे नए खेल महंगे पड़ रहे हैं। वे बच्चों के खेल अच्छे थे। बच्चे एक दूसरे को मार डालते थे, मुकदमा चला देते थे, कोई न्यायाधीश बन जाता था। वे सब खेल हमने छीन लिए। सब बच्चे हमारे, बच्चे होने के समय ही गंभीर और बूढ़े होने लगे। लेकिन खेल तो उनके भीतर जो ऊर्जा है, वह खेल मांग रही है।
पश्चिम में यह दिक्कत खड़ी हुई, सारी फेस्टिविटी नष्ट कर दी है। तो वाल्तेयर से लेकर बट्रेंड रसेल तक के बीच पश्चिम में सारे उत्सव का भाव चला गया। सब चीज बेकार-यह भी नहीं हो सकता, यह भी नहीं हो सकता, और जिंदगी वही की वही। अब बड़ी मुश्किल हो गई, शादी का उत्सव बेकार। इसमें क्या फायदा है, यह तो रजिस्ट्री के आफिस में हो सकता है, यह बैंड बाजा क्यों बजाना? लेकिन आपको पता नहीं, वह जो आदमी बैंड बाजा बजा रहा, उसे खेल में रस था। अब यह आदमी जब रजिस्ट्री के आफिस में जाकर शादी
287
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org