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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 गूंजे और विलीन हो जाए। आप महावीर को क्रोधित न करवा पाएंगे। और तब बड़े हैरानी की बात है कि अगर आप क्रोधी आदमी हैं तो आपको और ज्यादा क्रोध आएगा कि दूसरा आदमी क्रोधित तक नहीं हुआ। तो और क्रोध आएगा। जीसस को सूली पर लटकाना पड़ा क्योंकि यह आदमी उन लोगों के सामने अपना दूसरा गाल करता रहा, जो चांटा मारने आए थे। उनका क्रोध भयंकर होता चला गया। अगर यह भी उनको एक चांटा मार देता तो जीसस को सूली पर लटकाने की कोई जरूरत न पड़ती। बात निपट गयी होती। समान तल पर आ गए होते। फिर तो कोई कठिनाई न थी। __ एनी बीसेंट जे.कृष्णमूर्ति को कैम्ब्रिज और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अलग-अलग कालेजों में भर्ती कराने के लिए घूम रही थी, पढ़ने के लिए। लेकिन कोई कालेज का प्रिंसिपल कृष्णमूर्ति को लेने को राजी नहीं हुआ। जिस कालेज में भी एनी बीसेंट गयी, एनी बीसेंट ने कहा कि यह साक्षात भगवान का अवतार है, यह दिव्य पुरुष है। इनमें वर्ल्ड टीचर, जगत-गुरु का जन्म होने को है। ___ उन प्रिंसिपल्स ने कहा कि क्षमा करें, इतनी विशिष्टता आप उन्हें दे रही हैं कि हम कालेज में भर्ती नहीं कर सकेंगे। एनी बीसेंट ने कहा-क्यों? तो उन्होंने कहा-इसलिए भर्ती न कर सकेंगे कि एक तो इस बच्चे को परेशानी होगी इतनी महत्ता का बोझ लेकर चलने में, और दूसरे लड़के भी इसको परेशान करेंगे। इसको कठिनाई पड़ेगी इतनी गरिमा लेकर चलने में, और दूसरे लड़के इसको परेशान करेंगे। यह शांति से न पढ़ पाएगा, शांति से न जी पाएगा। इसलिए हम इसे न लेंगे। लेकिन सभी प्रिंसिपलों ने एक खास कालेज का नाम बताया कि आप वहां चली जाओ, वह कालेज भर्ती कर लेगा। एनी बीसेंट बहुत हैरान थी, फिर आखिर जब कोई कालेज में जगह नहीं मिली... क्योंकि वह कालेज अच्छा कालेज नहीं था, जिसका लोग नाम लेते थे, उसकी प्रतिष्ठा नहीं थी। एनी बीसेंट को जब कोई उपाय न रहा तो वह कृष्णमूर्ति को लेकर उस कालेज में गयी। उस कालेज के प्रिंसिपल ने कहा-खुशी से भर्ती हो जाओ, मजे से भर्ती हो जाओ; बिकाज़ इन अवर कालेज एवरीवन इज ए गाड। एवरीवन विल ट्रीट यू इक्कली। कोई दिक्कत न आएगी। इधर सभी लड़के भगवान हैं हमारे कालेज में। कोई कठिनाई न आएगी बल्कि तुमको दिक्कत यही हो सकती है कि कई इसमें बिगर गाड्स हैं, वे तुमको दबाएंगे, तुमको छोटा गाड सिद्ध करेंगे। तुम जरा इसके लिए सावधान रहना। बाकी और कोई अड़चन नहीं है। दे विल ट्रीट यू इक्कली। समान व्यवहार करेंगे। यह जो, हम जो व्यवहार कर रहे हैं दूसरे से, वह दूसरे पर कम निर्भर है, हम पर ज्यादा निर्भर है। हमें लगता ऐसा ही है कि दूसरे पर निर्भर है, वही हमारी भ्रांति है, वह हम पर ही निर्भर है। हम ही उसे उकसाते हैं जाने अनजाने। और जब दूसरा उसे करने लगता है तो लगता है वह दूसरे से आ रहा है। अब जिस कालेज में हरेक लड़का अपने को भगवान समझता है, उस कालेज में कोई दिक्कत नहीं है प्रिंसिपल को। वह कहता है-कोई अडचन न आएगी। लेकिन जिस कालेज में ऐसा नहीं है. उस रहा है कि इससे अड़चन खड़ी होगी। आसान नहीं होगा यह, कृष्णमूर्ति का यहां रहना। यह अड़चन बनेगी। महावीर के पास आप जाएंगे तो आपको कठिनाई आएगी, अगर महावीर आपके साथ समानता का व्यवहार करेंगे तो कठिनाई न आएगी। आप गाली दें महावीर को और महावीर भी आपको गाली दे दें तो आप ज्यादा प्रसन्न घर लौटेंगे क्योंकि बराबर सिद्ध हुए। अगर महावीर गाली न दें और मुस्कुरा दें तो आप रातभर बेचैन रहेंगे घर कि यह आदमी कुछ ऊपर मालूम पड़ता है, इसको नीचे लाना पड़ेगा। तो इसलिए कई बार तो ऐसा हआ है कि बहत साधुओं ने सिर्फ इसलिए गाली दी कि आपको उनको नीचे लाने की व्यर्थ कोशिश न करनी पड़े। आप हैरान होंगे, यह जगत बहुत अजीब है। कई साधुओं को इसलिए आपके साथ दुर्व्यवहार करना पड़ा ताकि आपको उनके साथ दुर्व्यवहार न करना पड़े। रामकृष्ण गाली देते थे, ठीक मां-बहन की गाली देते थे। और ढेर फक्कड़ साधु गालियां देते रहे, पत्थर मारते रहे, और सिर्फ इसलिए कि आपको कष्ट न उठाना पड़े उनको फांसी वगैरह देने का आप पर 256 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001820
Book TitleMahavira Vani Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1998
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & Religion
File Size12 MB
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