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________________ जिन सूत्र भाग: 2 उसमें से थोड़ा-थोड़ा बांटता भी है। तो दानी होने का मजा भी ले बजाईं कि चलो, एक भव्य जीव और पैदा हुआ। तुमने कसम ले लेता है, लेकिन कभी परिग्रह से मुक्त नहीं हो पाता। ली। तुमने प्रतिज्ञा ले ली। तुमने कहा कि मैं अब कभी क्रोध न तो पहले तो लोभ की वृत्ति को ही तोड़ देना पड़े। दान जिसे करूंगा। या ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया। करना है उसे पहले लोभ छोड़ देना पड़े। दान जिसे करना है, लेकिन यह कोई व्रत से हल होनेवाली बात है? इतना सस्ता पहले उसे वह जो लोभ की मूर्छा है, वह त्याग देनी पड़े। मामला है? तो तुम क्रोध के विज्ञान को समझ ही नहीं रहे। जो ...वैसे ही संयमी का करोडों भवों में संचित कर्म पापकर्म के क्रोध के विज्ञान का मौलिक आधार है वही भर रहा है इस प्रतिज्ञा प्रवेशमार्ग को रोक देने पर तथा तप से निर्जरा को प्राप्त होता है, से भी। तुम्हारे अहंकार को मजा आ रहा है, रस आ रहा है। नष्ट होता है।' | इसीलिए तो लोग त्यागी-तपस्वियों की खुब प्रशंसा करते हैं। तो पहले तो हमें अपने पापकर्म कहां से उदय होते हैं, इसकी रथयात्रा निकाल देते हैं, शोभायात्रा निकाल देते हैं। बैंडबाजे के तलाश करनी चाहिए। साथ त्यागी का स्वागत कर देते हैं। अब यह जो त्यागी है, मेरे पास लोग आते हैं वे कहते हैं, कि आपके सामने हम इसका अहंकार फुसलाया जा रहा है। इसका प्रभाव बढ़ रहा है। कसम लेते हैं कि हम क्रोध न करेंगे। मैं उनसे कहता हूं, तुम इसकी अस्मिता प्रगाढ़ हो रही है। और अस्मिता ही सारे रोगों का कसम तो लेते हो, यह उलीचना तो हआ. लेकिन अब तक तम कारण है। वह अहंकार ही सारे लोगों का कारण है। क्रोध करते क्यों रहे? जब तक तुम उसका मूल न खोजोगे, तो जरा त्यागी का तुम अपमान करके देखना, तब पता तुम्हारी कसम से थोड़े ही कुछ होगा? यह हो सकता है कसम से | चलेगा। संसारी तो शायद तुम धक्का-मुक्का दे दो, उसके पैर तुम दबाने लगो, रोकने लगो, क्रोध को प्रगट न करो। लेकिन पर पैर रख दो तो कहेगा, चलता ही रहता है। संसार में यह होता क्रोध पैदा नहीं होगा ऐसा कैसे संभव है? कसम के न लेने से ही रहता है। जरा त्यागी के पैर पर पैर पड़ जाए, तब अड़चन हो थोड़े ही पैदा हो रहा था, जो कसम के लेने से रुक जाएगा। क्रोध जाएगी। तुम जैसा त्यागी को क्रोधी पाओगे वैसा तुम संसारी को पैदा होता था किसी कारण से। उस कारण को खोजो। क्रोधी न पाओगे। घर में एक आदमी धार्मिक होने लगे तो घर भर क्यों क्रोध पैदा होता है? अहंकार को चोट लगती है तो क्रोध परेशान हो जाता है। पैदा होता है। तुम्हारी प्रतिमा को कोई नीचे गिराता है तो क्रोध | तुम सभी को अनुभव होगा। एकाध घर में कोई उपद्रवी हुआ पैदा होता है। तुम समझते हो अपने को जैसा, वैसा कोई नहीं और धार्मिक हो गया...। अब वे पूजा कर रहे हैं तो घर में कोई होता है। और जब तक अहंकार है भीतर, आवाज नहीं कर सकता, बच्चे खेल नहीं सकते, रेडियो नहीं अहंकार का घाव है भीतर, तब तक क्रोध होता ही रहेगा। तुम | चलाया जा सकता। उनके ध्यान में बाधा पड़ती है। वह सारे घर लाख कसमें खाओ। का दमन करने लगता है। वे भोजन करने बैठे हैं तो, वे अब मजे की बात यह है कि अक्सर लोग अहंकार के कारण ही | चलें-उठे-बैठे तो। कसम भी खा लेते हैं। इस मनुष्य के जाल को समझना। मंदिर | तुम कभी किसी त्यागी के साथ रहे हो? त्यागी को दूर से में गए, मुनि के पास गए, साधु के पास गए, वहां भीड़ भरी है। देखना सुख। त्यागी के पास रहो, तुम भाग खड़े होओगे। वहां कोई कसम खा रहा है कि अब मैं प्रतिज्ञा लेता हूं, अणुव्रत क्योंकि वहां हर चीज बंधी-बंधी मालूम पड़ेगी। तुम भी बंधे हुए लेता है कि अब कभी क्रोध न करूंगा। लोग ताली बजा रहे हैं। मालूम पड़ोगे। त्यागी बड़ा बोझरूप हो जाएगा। उसका लोग कह रहे हैं, धन्यभागी है। कितना भव्य जीव! तुम्हारे अहंकार पत्थर की तरह है। वह तुम्हारी छाती पर लटक अहंकार को भी फुरफुरी लगी। जाएगा। होना तो उल्टा चाहिए था कि त्यागी विनम्र हो जाता, तमने कहा, अरे। यह आदमी भव्य जीव हआ जा रहा है। हम कि त्यागी के साथ रहना आनंद और सौभाग्य हो जाता, कि बैठे यहां क्या कर रहे हैं? तुम भी खड़े हो गए। तुम्हें पक्का पता | उसके पास थोड़ी देर रहने को मिल जाता तो तुम्हारे जीवन में भी भी नहीं तुम क्यों खड़े हो गए हो! लेकिन लोगों ने और तालियां फूल खिलते। मगर ऐसा होता नहीं। लोग त्यागियों को 596 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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