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___षट पर्दो की ओट में
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| ये तत्क्षण हड़तालों के खिलाफ हो जाते हैं। ये तत्क्षण तोड़-फोड़ मनोवैज्ञानिक इसका अध्ययन कर रहे थे। उस आदमी से पछा
के विरोध में हो जाते हैं। तोड़-फोड़ के कारण ही पहुंचे वहां गया कि जब बूढ़ी औरत रास्ते पर कार का धक्का खाकर गिरी तो तक। तोड़-फोड़ से ही पहुंचे वहां तक। सभी क्रांतिकारी सत्ता में | क्या यह उचित नहीं था कि पहले तुम उस बूढ़ी स्त्री को पहुंचते से ही क्रांति का साथ छोड़ देते हैं।
अस्पताल पहुंचाते, बजाय इस आदमी के पीछे जाकर तीन मील क्या हो जाता है? इन आदमियों में इतना परिवर्तन कैसे हो दूर जाकर इसकी मारपीट करने के? क्योंकि वह बूढ़ी मर गई। जाता है? समझने योग्य है। क्योंकि ऊर्जा एक ही तरफ बह अगर वह अस्पताल पहुंचाई गई होती तो बच जाती। उस सकती है। सत्ता में पहुंचते से ही लोगों की क्रांति समाप्त हो जाती आदमी ने कहा, यह तो मुझे खयाल ही नहीं आया। मुझे तो है। तब वे कुछ और ही बात करने लगते हैं—देश के निर्माण | पहला खयाल यह आया कि इस आदमी को दंड देना जरूरी है। की, शांति की, सुख की। ये वे ही लोग हैं जो कुछ दिन पहले | यह आदमी लोगों से कहेगा कि मैं दयाभाव से भरा आदमी हूं, स्वतंत्रता की बात करते. सख की नहीं। देश के निर्माण की बात लेकिन यह आदमी दयाभाव से भरा नहीं है। अगर किसी एक नहीं करते, गति की प्रगति की बात करते: नए की बात करते। स्त्री पर कोई गंडा हमला कर देता है तो जो आदमी उस गंडे से यही व्यक्ति जो कल पुराने को मिटाने को तत्पर थे, सत्ता में आते जूझने लगते हैं, वे भी गुंडे जैसे ही गुंडे हैं। उनको भी उस स्त्री से से ही पुराने को सम्हालने में तत्पर हो जाते हैं। यह अनूठी घटना | कुछ मतलब नहीं है। झगड़ालू वृत्ति के हैं। हालांकि वे कहेंगे कि है। लेनिन और स्टैलिन जैसे ही सत्ता में पहुंचते हैं, ये क्रांति के दयाभाव से प्रेरित होकर, सदभाव से प्रेरित होकर उन्होंने ऐसा दुश्मन हो जाते हैं। ये उन लोगों को, जो अब भी क्रांति में लगे हैं, किया। लेकिन वे सदभाव की सिर्फ आड़ ले रहे हैं। और वह उनको नष्ट करने लगते हैं। उनको जेलों में फेंकने लगते हैं। मामला ऐसा है कि समाज भी उनका साथ देगा। तो उनका
ऐसा प्रत्येक व्यक्ति के भीतर भी घटता है। तुम जरा कोशिश | गुंडागर्दी करने का बड़ा सुविधापूर्ण मौका है। मगर ये आदमी करके देखना! तुम किसी चीज के बनाने में उत्सुक हो गुंडों जैसे ही गुंडे हैं। ये गुंडे ही हैं। इनमें कुछ फर्क नहीं है। जाओ-कोई छोटी-सी चीज! बांसुरी बजाने में उत्सुक हो असली सवाल तो उस स्त्री को बचाने का था, वह तो एक जाओ, और तुम पाओगे, तुम्हारी झगड़ालू वृत्ति कम हो गई। तरफ हो गया। स्त्री से तो कुछ लेना-देना नहीं है। इनको एक क्योंकि ऊर्जा अब बांसुरी से भी तो बहेगी। जो ऊर्जा बांसुरी से मौका मिल गया अपना क्रोध, अपनी हिंसा प्रगट करने का। बहेगी, वह झगड़े के लिए अब उपलब्ध न रहेगी। महावीर ने | महावीर कहते हैं, 'धर्म और दया से शून्यता...।' इसीलिए अहिंसा पर इतना जोर दिया।
तो कभी-कभी ऐसा भी होता है, गलत तरह के लोग भी दया 'वैर की मजबूत गांठ, झगड़ालू वृत्ति, धर्म और दया से की आड़ में हिंसा को ही चलाते हैं। कोई चिल्लाता है इस्लाम शून्यता...।'
| खतरे में कोई कहता है हिंदू धर्म खतरे में; और जो उस नाम से ऐसे व्यक्तियों के मन में दया का भाव नहीं उठता। अभी चलता है वह गुंडागर्दी अमरीका में एक विश्वविद्यालय ने इस बात का अध्ययन करने जो धर्म पे बीती देख चुके, ईमां पे जो गुजरी देख चुके की कोशिश की, कि जो लोग रास्ते पर कभी किसी की हत्या कर इस राम और रहीम की दुनिया में इंसान का जीना मुश्किल है देते हैं या कार से किसी को धक्का मारकर गिरा देते हैं, उस घड़ी चाहे धर्म हों-हिंदू, मुसलमान, ईसाई; चाहे नए धर्म कुछ लोग त्राता की तरह आ जाते हैं। एक आदमी ने एक बूढ़ी | हों—कम्युनिज्म, समाजवाद, फासिज्म; लेकिन सबके पीछे को कार से धक्का मारा और वह धक्का मारकर कार लेकर ऐसा मालूम पड़ता है दया तो केवल बहाना है, असली मतलब भागा। एक आदमी, जो दुकान में खरीद-फरोख्त कर रहा था, ।
नी मोटर साइकिल पर सवार हआ। उस कार स्टैलिन जब सत्ता में आया रूस में. तो आया तो इसी कारण के पीछे लग गया। कोई तीन मील दूर जाकर उसने पकड़ा और कि गरीबों की हिमायत करनी है। लेकिन सत्ता में आने के बाद उस आदमी की पिटाई की।
लाखों गरीबों को मार डाला। जो मारे गए वे अधिकतर गरीब थे,
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