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________________ घट पर्दो की ओट में क्षमा मांगो, जूते को सिर झुकाकर नमस्कार करो। पडेगा। कभी-कभी किसी की आंखों में जागति की चमक उस आदमी ने कहा, क्या मतलब ? दरवाजे से क्षमा? जूते से दिखाई पड़ेगी, अन्यथा अंधेरा है। चल रहे हैं, जगे हुए हैं, फिर नमस्कार ? ये तो मृत चीजें हैं, जड़ चीजें हैं। इनसे क्या क्षमा भी सोये हुए हैं। और क्या नमस्कार! ऐसा पहले दूसरों का निरीक्षण करना और फिर जो तुम्हें दूसरों बोकोजू ने कहा, क्रोध करते वक्त न सोचा कि जड़ चीजों पर के निरीक्षण में दिखाई पड़े, धीरे-धीरे अपने पर लागू करना। क्रोध कर रहे हो? जूते को जब क्रोध से फेंका, तब न सोचा कि | फिर खुद चलते हुए, बैठते हुए, उठते हुए देखना कि तुम किन्हीं जूते पर क्या क्रोध करना! दरवाजे को जब धक्का दिया, बेहूदगी भाव-दशाओं में बहुत लिप्त तो नहीं हो गए हो! कहीं ऐसा तो और अशिष्टता की, तब न सोचा। जाओ वापस, अन्यथा मेरे नहीं है कि तुम क्रोध से भरे जीने लगे हो, रोष से भरे जीने लगे पास आने की कोई सुविधा नहीं है। मैं तुमसे बात ही तब | हो, हिंसा तुम्हारी अंतर्भूमि बन गई है, दुष्टता तुम्हारा स्वभाव करूंगा, जब तुम दरवाजे से क्षमा मांगकर आ जाओ। | बन गई है! अब यह जो आदमी है, कृष्ण लेश्या से दबा होगा। ऐसा नहीं __ अगर यह दिखाई पड़े तो एक बड़ी महत्वपूर्ण अनुभूति हुई : कि उसने जानकर कोई क्रोध किया। क्रोध उसका अंग बन गया कृष्ण लेश्या पहचान में आयी। और जिसे मिटाना हो उसे है। वह क्रोध से ही दरवाजा खोल सकता है। पहचान लेना जरूरी है। जिससे मुक्त होना हो, उसे आर-पार तुम भी लोगों को ध्यानपूर्वक देखोगे तो तुम्हें दिखाई पड़ने देख लेना जरूरी है। लगेगा। पहले औरों को देखना. क्योंकि औरों के संबंध में सत्य 'स्वभाव की प्रचंडता, वैर की मजबूत गांठ...।' को जानना सरल होता है। तुम्हारा कुछ लेना-देना नहीं। दूसरे ऐसे लोग हैं, जो जन्म-जन्म तक वैर की गांठ बांधकर रखते की बात है। तुम दूर खड़े होकर देख लेते हो। लोगों को जरा गौर | हैं। जो भूलते ही नहीं। जो और सब भूल जाते हैं, वैर नहीं से देखना। कभी रास्ते के किनारे बैठ जाना किसी वृक्ष के नीचे, भूलते। ऐसा भी होता है कि पीढ़ी दर पीढ़ी वैर चलता है। बाप चलते लोगों को देखना। देखना कि कौन आदमी क्रोध से चल मर जाता है तो अपने बेटे को शिक्षण दे जाता है कि पड़ोसी से रहा है। कौन आदमी प्रेम से चल रहा है। कौन आदमी झगड़ते रहना। अपनी पुश्तैनी दुश्मनी है। आनंदभाव से चल रहा है। और तुम पाओगे, हर स्थिति में पुश्तैनी दुश्मनी का क्या मतलब हो सकता है? लड़े कोई और भाव-भंगिमा अलग है। | थे, जारी कोई और रखे हैं। शुरू किसी ने किया था, वे कभी के प्रेम से चलनेवाले की चाल में एक संगीत होगा। कोई अदृश्य मर चुके होंगे दादे-परदादे; लेकिन पुश्तैनी दुश्मनी है, जारी रखे पायल बजती होगी। हृदय में कोई गहन आनंद की वर्षा होती हुए हैं। होगी। क्रोध से चलनेवाला आदमी जैसे कांटों में चुभा पड़ा है। ऐसा तो कम होता है, लेकिन बीस साल पहले किसी ने तुम्हें पीड़ा से जलता हुआ, आग की लपटों में झुलसता चल रहा है। गाली दे दी थी, वह तुम अभी भी याद रखे हो। गालियां मुश्किल राह वही, लोग अलग-अलग हैं। से भूलती हैं। जिस आदमी ने तुम्हारे साथ निन्यानबे उपकार जिन रास्तों पर तुम चलते हो, उन्हीं पर बुद्ध और महावीर चले किए हों, वह भी अगर एक गाली दे दे तो निन्यानबे उपकार भूल हैं। जिन वृक्षों के नीचे से तुम गुजरे हो, उन्हीं के नीचे से बुद्ध जाते हैं, वह एक अपमान याद रह जाता है। और महावीर गजरे हैं। लेकिन तम एक ही दनिया में नहीं चले। तम कभी अपने पीछे लौटकर विचार करते हो, क्या याद रह और एक ही रास्तों पर नहीं गुजरे। क्योंकि असली में तो तुम क्या गया? तुम अचानक चकित हो जाओगे। सिर्फ जलते हुए हो, इससे तुम्हारी दुनिया निर्मित होती है। अंगारे याद रह गए। तुम कभी पीछे लौटकर देखना कि कौन-सी ऐसा पहले दूसरों को देखना। कुछ लोग मूर्छित मालूम | याददाश्तें तुम्हारे घर में बड़ा गहरा घर किए बैठी हैं। तुम बहुत पड़ेंगे। चले जा रहे हैं, लेकिन जैसे किसी नशे में हैं। हैरान होओगे। कभी कोई छोटी-सी बात...तीस साल हो गए, कभी-कभी कोई आदमी, कोई छोटा बच्चा जाग्रत मालूम किसी आदमी ने तुम पर व्यंग्य से हंस दिया था, वह अभी भी 1461 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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