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________________ जन सत्र भाग: 2 BELS MSR5 TIMERNAM खतरनाक है। क्योंकि उसका मतलब होगा, तो फिर कुछ करने ऐसा कभी नहीं होता कि जो आदमी एक दफे जेल गया हो, वह की जरूरत नहीं। चोर चोरी करे। हत्यारा हत्या करे। बेईमान फिर न गया हो। वह जेल से बाहर आते से फिर वही कृत्य करता बेईमान रहे। शराबी शराब पीए। करने से तो कुछ होता नहीं। है। हां, अब पहले से ज्यादा कुशलता से करता है। तब तुमने गलत अर्थ ले लिया। शराबी से पूछो, कितनी बार तो मनोवैज्ञानिक तो कहते हैं, ये तुम्हारे कारागृह लोगों को पाप छोड़ने की कोशिश नहीं कर चुका है। कहां छूटती? और | से रोकते नहीं हैं, पाप का शिक्षण देते हैं। ये विश्वविद्यालय हैं जिसकी छूट गई हो, उससे पूछो कि क्या तेरी कोशिश से छूटी? पाप के। और तुम सोचते हो दंड देने से कुछ होता है। कोड़े अगर वह ईमानदार आदमी हो तो कहेगा, कोशिश तो बहुत की, मारो, भूखा मारो, अंधेरी कोठरियों में बंद करो, इससे कुछ होता न छुटी। जब छूटनी थी, छूट गई। एक दिन ऐसा हुआ कि छूट है। तुम सोचते हो, शायद इससे रुकावट होगी। गई। वह जो कोशिश कर रहा है और थकता है और नहीं इंग्लैंड में ऐसा था सौ साल पहले तक कि जो भी चोर चोरी छूटती...अक्सर तो ऐसा होता है, कोशिश से और पकड़ती है। करता, उसको चौरस्ते पर खड़ा करके कोड़े मारते थे; ताकि पूरा जिसे तुम भुलाने की कोशिश करते हो, उसकी और याद आती गांव देख ले कि चोर की क्या हालत होती है। फिर उनको वह है? भुलाने में भी तो याद ही आती है। करोगे भी क्या? बंद करनी पड़ी प्रथा। क्योंकि पाया गया कि पूरा गांव इकट्ठा हो किसी को भुलाना चाहते हो, उतार देना चाहते हो मन से कि जाता और वहीं जेब कट जाती। एक आदमी को चोरी की वजह अब याद न आए, तकलीफ होती है, कांटा चुभता है याद का; न से कोड़े मारे जा रहे हैं, उसकी चमड़ी उधेड़ी जा रही है, आए याद। लेकिन जब भी तुम सोचते हो न आए याद, तभी तो लहूलुहान हो रहा है और भीड़ उत्सुकता से देख रही है। लोग याद कर ली। न याद करने में याद फिर हो गई। तो यह तो याद ऐसे तन्मय हो जाते देखने में।। बढ़ती चली जाएगी। हां, ऐसा कभी होता है एक दिन कि याद हिंसा जहां हो रही हो, वहां लोगों का बड़ा ध्यान लगता बिसर जाती है, नहीं आती। है—जिसको महावीर अधर्म ध्यान कहते हैं। एकदम लोग तत्पर गोशालक इतना ही कह रहा है कि जीवन में सब सहज हो रहा हो जाते हैं। जिनकी कभी एकाग्रता नहीं सधी, वह भी सध जाती है। यहां तुम चेष्टा को बीच में मत लाओ। है। उसी वक्त जेब कट जाती। और उसकी बात सही है। क्योंकि कितनी अदालतें हैं। कितने आखिर समझ में आया कि यह तो कोई सार नहीं। हम सोचते चोरों को दंड दिए गए, कौन-सी बदलाहट हुई है? चोर बढ़ते हैं, लोगों को शिक्षा मिलेगी। वहीं जेब काटनेवाले मौजूद हैं। वे गए, जैस-जैसे कानन बढ़े। तम कानुन बनाओ, चोर और | इस अवसर को भी नहीं चकते। वकील बढ़ते हैं और कुछ नहीं होता। ज्यादा कानून बनाओ, वह अपराध और दंड की अब तक की जो व्यवस्था रही है, वह और ज्यादा चोर, और ज्यादा वकील। कानून से कुछ रुकता तो बिलकुल व्यर्थ है। उससे हो सकता है, समाज को थोड़ा सुख नहीं। कारागृह बनाओ, कोई फर्क नहीं पड़ता। मिल जाता हो कि जिसने हमारा नियम तोड़ा उसको हमने सता अब तो मनोवैज्ञानिक पश्चिम में कहने लगे हैं कि कारागृह लिया। हिंसा का थोड़ा मजा आ जाता हो। है तो मूढ़तापूर्ण। खतरनाक हैं, क्योंकि इनसे और चोर निष्णात होकर निकलते हैं। एक आदमी किसी की हत्या करता है, हम नए सिक्खड़ आते हैं, किसी ने किसी की जेब काट ली, पकड़ देते हैं। यह तो बड़े मजे की बात हुई। यही पाप उसने किया। गया। पहुंच गया जेल, छह महीने की सजा हो गई। वहां मिलते यही पाप हम करते हैं और हम कहते हैं, चूंकि तुमने किसी को हैं महागुरु। कोई बीस साल से काट रहे हैं, कोई पंद्रह साल से मारा इसीलिए हम तुम्हें मारेंगे। काट रहे हैं। छह महीने सत्संग हो जाता है। उस सत्संग में वह एक छोटे स्कूल में एक शिक्षक अपने बच्चों से पूछ रहा था कि और मजबूत होकर बाहर आ जाता है। वह सब सीखकर आ | तुम पशुओं को सताते तो नहीं? तुमने व जाता है कि पकड़ा क्यों गया। कहां भूल हो गई? कहां चूक हो सुरक्षा दी? करुणा की? एक लड़के ने हाथ हिलाया। उसने गई? अब कभी न होगी। कहा, हां, एक दफा। एक लड़का कुत्ते को मार रहा था तो मैंने Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001819
Book TitleJina Sutra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1993
Total Pages668
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size25 MB
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