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जिन सूत्र भाग: 2
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अलग-अलग रास्तों से पहुंचे। सभी पहुंच जाते हैं। चलते भर और सब बन जाऊंगा, पति कभी नहीं बनूंगा। रहो, चलना भर न रुके। भटको तो भी पहुंच जाओगे, लेकिन एक गहन संघर्ष है। इसे समझने की कोशिश करो। पुरुष रुको भर मत, चलते रहो। आज भटकोगे, कल भटकोगे, कब पाशविक-दृष्टि से स्त्री से ज्यादा बलशाली है। उसके पास तक भटकोगे? आखिर भटकन भी पहचान में आने लगेगी। ज्यादा ‘मस्कुलर' शक्ति है। शरीर से थोड़ा बड़ा भी है, रोज-रोज भटकोगे, समझ में आने लगेगा। गलत समझ में आ | शक्तिशाली भी है। स्त्री को सब तरह से दबा लेता है। तो फिर जाए, तो ठीक की तरफ पैर पड़ने लगते हैं। असार समझ में आ स्त्री भी उसे दबाने के सूक्ष्म रास्ते निकालती है। यह बिलकुल जाए, तो सार की तरफ यात्रा शुरू हो जाती है। और तो कोई स्वाभाविक है। कमजोर की भी तरकीबें होती हैं सताने की। रास्ता भी नहीं है। अनुभव ही रास्ता है।
उसकी फिर सूक्ष्म तरकीबें होती हैं। तुम उसे मार सकते हो, पीट 'और यह समझाएं कि मैं पत्नी को कैसे समझाऊं?' सकते हो, ठीक। लेकिन वह कुछ ऐसे छोटे-छोटे उपद्रव कर
समझाओ ही नहीं। तुम समझो। लौटकर घर पत्नी से क्षमा सकती है, जिनकी इकट्ठी मात्रा तुम्हें पागल कर दे। छोटे-छोटे मांग लेना कि अब तक जो कहा-सुना, कि मूर्तिपूजा व्यर्थ है दिखायी पड़ते हैं, सीधे तुमसे संबंध भी नहीं, तुम तर्क भी नहीं इत्यादि, वह मेरी भूल थी। तू अपनी राह पर जा। शायद तुम्हारा कर सकते।
यह क्षमा मांग लेना ही रास्ता बनेगा कि वह भी तुम्हें समझ सके जैसे जिस दिन तुम्हारी पत्नी से झंझट हो गयी हो और तुम | और तम भी उसे समझ सको। जरूरी नहीं है कि तम्हारी पत्नी उसको अकड बताये, परेशान किये. उस दिन घर में बर्तन.
को प्रार्थना में आनंद मिल ही रहा हो। जरूरी नहीं है कि मूर्तिपूजा प्याली ज्यादा टूटेंगे। क्या करोगे? तुम यह तो कह ही नहीं में उसे रस आ ही रहा हो। लेकिन पति की बात तोड़ने में भी रस सकते कि यह मेरे कारण टूट रहे हैं। वह सीधा तुम पर हमला आता है। गुलामी तोड़ने में सभी को रस आता है। जबर्दस्ती कर ही नहीं रही। वह तुम्हें नहीं मार रही है, प्यालियों को मार रही तोड़ने में सभी को रस आता है। हो सकता है मूर्तिपूजा इसीलिए है। बर्तन जोर से बजेंगे। लेकिन अगर दिनभर यह चलता रहा चल रही हो कि तुम विरोध में हो।
है, तो तम्हारे मस्तिष्क पर धीरे-धीरे चोट पड रही है। तम जानते कभी-कभी कोई पति मेरे पास आ जाता है, वह कहता है मैं तो हो कि बर्तन किसके सिर पर टूट रहे हैं। क्यों टूट रहे हैं। दरवाजे संन्यास ले रहा है, अब मेरी पत्नी! मैंने कहा, अब जरा मुश्किल जोर से लगेंगे। घर में एक तफान-सा मालुम पड़ेगा। सीधे वह है। पहले पत्नी आ जाए और संन्यास ले ले, तो संभावना है कि तुम पर हमला भी नहीं करेगी। उसका हमला बड़ा सूक्ष्म होगा, पति को आज नहीं कल ले आयेगी। लेकिन पति पहले आ जाए बड़ा अहिंसक होगा, लेकिन वह तुम्हें तोड़ लेगी। किसी को एक तो बहुत मुश्किल हो जाती है। फिर तो पत्नी आती ही नहीं। फिर चांटा मार देना उतना नहीं तोड़ता, जितना दिनभर उसको सताये तो वह इस तरफ कान ही नहीं देती। पति और पत्नी के बीच ऐसी चले जाओ। तो स्त्रियां उस कला में पारंगत हो गयी हैं। क्योंकि दुश्मनी कि सारी दुनिया से पत्नी हारने को तैयार है, लेकिन पति पुरुष ने उनको ऊपर से तो दबा लिया, लेकिन अब वे क्या करें? से कभी नहीं। यह तो परमात्मा हैं, इनसे हारना ! कभी नहीं। सीधा उत्तर देने का उनके पास कोई उपाय नहीं। तो उन्होंने परोक्ष
पश्चिम में बड़ा विचारक हुआ, हेनरी थारो। किसी ने उससे उत्तर देने शुरू कर दिये। वे बूंद-बूंद सताती हैं। लेकिन बूंद-बूंद पूछा कि तुमने विवाह क्यों न किया? उसने कहा कि एक होटल की इकट्ठी मात्रा बड़ी हो जाती है, गागर भर जाती है। और फिर से भोजन करके निकल रहा था, धक्कम-धुक्का थी, भीड़-भाड़ | वे छोटी-छोटी चीज में प्रतिरोध करती हैं। थी। एक स्त्री के पैर पर मेरा जरा पैर पड़ गया, वह एकदम रोज...मैं अनेकों घरों में ठहरता था—यात्रा के दिनों में...तो आगबबूला होकर चिल्लायी कि शैतान कहीं के! हरामजादे !! बैठे हैं, मैं पति के साथ बैठा हूं कार में, वह हार्न बजा रहे हैं, तो मैं एकदम घबड़ा गया कि अब यह फजीहत होगी। उसने पत्नी कहती है, आते हैं। मगर आ ही नहीं रही। अब उसे पता है लौटकर मुझे देखा, अरे! उसने कहा कि क्षमा करना ! मैं समझी कि ठीक वक्त पर कहीं जाना है। लेकिन यह मौका है, जब वह कि मेरे पति हो। तो उसी दिन मैंने तय कर लिया, कभी नहीं। दिखा देगी कि मालिक कौन है। यह मौका वह नहीं छोड़
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