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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका ___ इंतु श्रीमवर्हत्परमेश्वरचारुचरणारविदद्वंद्ववंदनानंदितपुण्यपुंजायमान श्रीमद्रायराजगुरुमंडलाचार्यवयंमहावादवादीश्वररायवादिपितामहसकलविद्वज्जनचक्रवत्ति श्रीमदभयसूरिसिद्धांतचक्रवर्तिश्रीपादपंकजरजोरंजितललाटपट्टे श्रीमत्केशवण्णविरचितमप्प गोम्मटसारकर्णाटकवृत्तिजीवतत्वप्रदीपिकयोळु जीवकांडविंशति प्ररूपणंगळोळु एकान्नविशति माहारमार्गणाधिकार निरूपितमायतु। इत्याचार्यश्रीनेमिचन्द्रसिद्धान्तचक्रवतिविरचितायां गोम्मटसारापरनामपञ्चसंग्रहवृत्ती तत्त्वप्रदीपिका ख्यायां जीवकाण्डे विशतिप्ररूपणासु आहारमार्गणाप्ररूपणानामैकानविंशोऽधिकारः ॥१९॥ इस प्रकार आचार्य श्री नेमिचन्द्र विरचित गोम्मटसार अपर नाम पंचसंग्रहकी भगवान् अर्हन्त देव परमेश्वरके सुन्दर चरणकमलोंकी वन्दनासे प्राप्त पुण्यके पुंजस्वरूप राजगुरु मण्डलाचार्य महावादी श्री अमयनन्दी सिद्धान्त चक्रवर्तीके चरणकमलोंकी धूलिसे शोमित कलाटवाले श्री केशववीके द्वारा रचित गोम्मटसार कर्णाटवृत्ति जीवतत्व प्रदीपिकाकी अनुसारिणी संस्कृतटीका तथा उसकी अनुसारिणी पं. टोडरमकरचित सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका नामक भाषाटीकाकी अनुसारिणी हिन्दी भाषा टीकामें जीवकाण्डकी बीस प्ररूपणाओंमें-से आहारमार्गणा प्ररूपणा नामक उन्नीसवाँ अधिकार सम्पूर्ण हुआ ॥१९॥ १५ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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