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________________ ८९० o भागमात्रमक्कं स १२ १ आस्त्रवपदार्थ समयप्रबद्धप्रमाणमक्कं स व संवरब्रव्यमुं समयप्रबद्ध ? प्रमितमक्कुं । स । निज्र्ज्जराद्रव्यमिदु स बंधद्रव्यं समयप्रबद्धमकुं । स मोक्षद्रव्यं ५ पुण्यजीव पaa ४ a a द्वयर्द्धगुणहानिप्रमितमक्कुं स १२ । संदृष्टि : -- सामान्यजीव १६ अजी = सा ३ पापजीव १३ 11= गो० जीवकाण्डे ११२४ Jain Education International १२ । ६४ प । ८५ 资 O पाप १२-१ समयप्रबद्धः स । निर्जराद्रव्यमेतावत्- स किचिदूयर्धगुणहानिः स १२ - ॥६५९ ।। १६ ख घुस १२ । १ a आस्त्र स a संव स निर्ज्ज स ० १२ == ६४ प । ८५ । a अजीवपापं यर्धगुणहानिसंख्या तबहुभागः स ० १२-१ ง आस्रवपदार्थः समयप्रबद्धः स । संवरद्रव्यं १२ । ६४ बन्धद्रव्यं समयप्रबद्धः स । मोक्षद्रव्यं ऊ प ८५ a बंध स मोक्ष सं १२ १० समय प्रबद्धों में से संख्यातवें भाग अजीवपुण्यका परिमाण है । संसारी राशिमें से मिश्रकी अपेक्षा कुछ अधिक पुण्यजीवोंके प्रमाणको घटानेसे पापजीवोंका प्रमाण होता है। डेढ़ गुणहानिप्रमाण समयबद्धोंमेंसे संख्यात बहुभाग अजीवपापका परिमाण है । आस्रव पदार्थ समयप्रबद्ध प्रमाण है । संवर द्रव्य समयप्रबद्ध प्रमाण है । निर्जराद्रव्य गुणश्रेणि निर्जराके उत्कृष्ट द्रव्यप्रमाण है । बन्धद्रव्य समयप्रबद्धप्रमाण है । मोक्षद्रव्य कुछ कम डेढ़ गुणहानि१५ प्रमाण है ||६५९ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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