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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका ८९१ इंतु भगवदर्हत्परमेश्वर चारुचरणारविंदद्वंद्ववंदनानंदितपुण्यपुंजायमान श्रीमद्रायराजगुरुमंडलाचार्य्यमहावादवादीश्वररायवादिपितामहसकलविद्वज्जनचक्रवत्ति श्रीमदभयसूरिसिद्धांतचक्र. वसि श्रीपादपंकजरजोरंजितललाटपट्टे श्रीमत्केशवण्णविरचितगोम्मटसारकर्णाटवृत्तिजीवतत्त्वप्रदीपिकयोळु जीवकांडविंशतिप्ररूपणंगळोळु सप्तदशं सम्यक्त्वमार्गणामहाधिकारं व्याकृतमायतु ॥ इत्याचार्यश्रीनेमिचन्द्रसिद्धान्तचक्रवर्तिविरचितायां गोम्मटसारापरनामपञ्चसंग्रहवृत्तौ जीवतत्त्वप्रदीपिकाख्यायां जीवकाण्डे विंशतिप्ररूपणासु सम्यक्त्वमार्गणाप्ररूपणानाम सप्तदशोऽधिकारः ॥१७॥ इस प्रकार आचार्य श्री नेमिचन्द्र विरचित गोम्मटसार अपर नाम पंचसंग्रहकी भगवान् अर्हन्त देव परमेश्वरके सुन्दर चरणकमलोंकी वन्दनासे प्राप्त पुण्यके पुंजस्वरूप राजगुरु मण्डलाचार्य महावादी श्री अभयनन्दी सिद्धान्त चक्रवर्तीके चरणकमलोंकी धूलिसे शोमित ललाटवाले श्री केशववर्णीके द्वारा रचित गोम्मटसार कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्व प्रदीपिकाकी अनुसारिणी संस्कृतटीका तथा उसको अनुसारिणी पं. टोडरमलरचित सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका नामक भाषाटीकाकी अनुसारिणी हिन्दी भाषा टीकामें जीवकाण्डकी बीस प्ररूपणाओंमें-से सम्यक्त्वमार्गणा प्ररूपणा नामक सत्रहवाँ अधिकार सम्पूर्ण हुआ ॥१०॥ १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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