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________________ ८७३ कर्णाटवृत्ति जोवतत्त्वप्रदीपिका सोहम्मादासारं जोइसवणभवणतिरियपुढवीसु । अविरदमिस्सेअसंखे संखासंखगुणं सासणे देसे ॥६३७॥ सौधर्मादासहस्रारं ज्योतिषिकवानभावनतिर्यक्पृथ्वीषु । अविरतमिश्रेऽसंख्ये संख्य असंख्यगुणं सासादने देशसंयते ॥ सौधर्मद्वयदत्तणिदं मेळे सानत्कुमारकल्पद्वयं मोदल्गोंडु सहस्रारकल्पपय्यंतं कल्पद्वय- ५ पंचकदोळं ज्योतिषिकवानभावनतिय्यंच प्रथमद्वितीयतृतीयचतुर्थपंचमषष्ठसप्तमपृथ्वियें बी षोडश स्थानदोळमवितरोळं मिश्ररोळमसंख्यातगुणितक्रममक्कुं । सासादनरोळुसंख्यातगुणमक्कु । तिय्यंचदेशसंयतरोळसंख्यातगुणमक्कुमदे ते दोडेमु पेन्द सानत्कुमारकल्पद्वयव सासादनहारमं नोडलु ब्रह्मकल्पद्वयासंयतहारमसंख्यातगुण २००० ४०० ४३ मवं नोडलु मिश्रहारमसंख्यातगुण a-१०-१ aaaa४ ० ० ४ ० ० मदं नोडलु सासादनर हारं संख्यातं गुणमक्कु ४०० ४००४ १० a-१० -१ ०-१०-१ मदं नोडलु लांतवकल्पद्वयदऽसंयतहारमसंख्यातगुण aaaa४००४।२।३ मदं नोडलु a-१०-१ मिश्रर हारमसंख्यातगुण २० ० ० ४ ० ० ४।२।aa मदं नोडलु सासादनहारं संख्यातगुण -१०-१ मक्कु aaaa४ ३ ३ ४ । २००४ मदं नोडलु शुक्रकल्पद्वयासंयतहारमसंख्यातगुणमक्कु a-१०-१ aaaa४००४।३। मदं नोडलु मिश्रहारमसंख्यातगुणमक्कुaaaaaaa४।३aa a-१०-१ ३-१०-१ मदं नोडलु तत्रत्य सासादनहारं संख्यातगुणमक्कु २००४००४।३००४ मदं नोडलु १५ a-१०-१ mmm सौधर्मद्वयादुपरि सानत्कुमारादिसहस्रारपर्यन्तं पञ्चयुग्मेषु ज्योतिष्कवानभावनतिर्यक्सप्तपृथ्वीषु चेति षोडशस्थानेषु अविरते मिश्रे त्वसंख्येयगुणितक्रमः सासादने संख्यातगुणितक्रमः, तिर्यग्देशसंयते असंख्यातगुणितक्रमश्च भवति । तथाहि-उक्तसानत्कुमारद्वयसासादनहारात् ब्रह्मद्वयस्य असंयतहारोऽसंख्यातगुणः । ततो मिश्रहारोऽसंख्यातगुणः । ततः सासादनहारः संख्यातगुणः । अत्र संख्यातस्य संदृष्टिश्चतुरङ्कः । ततः लान्तवद्वये असंयतहारः असंख्यातगुणः । ततः मिश्रहारः असंख्यातगुणः । ततः सासादनहारः संख्यातगुणः । ततः शुक्रद्धये- २० सौधर्मसे ऊपर सानत्कुमारसे लेकर सहस्रार पर्यन्त पाँच स्वर्ग युगलोंमें और ज्योतिषी, व्यन्तर, भवनवासी, तिथंच, और सात नरक इन सोलह स्थानोंमें अविरत और मिश्रमें असंख्यात गुणितक्रम जानना। सासादनमें संख्यात गुणितक्रम जानना । और तियंच सम्बन्धी देशसंयत गुणस्थानमें असंख्यात गुणितक्रम जानना। इसका स्पष्टीकरण इस प्रकार है-सानत्कुमार, माहेन्द्र में जो सासादनका भागहार कहा,उससे ब्रह्म-ब्रह्मोत्तरमें असंयतका २५ भागहार असंख्यातगुणा है। उससे मिश्रका भागहार असंख्यातगुणा है । उससे सासादनका भागहार संख्यातगुणा है। यहाँ संख्यातकी संदृष्टि चारका अंक ४ है। उससे लान्तवकापिष्ठमें असंयतका भागहार असंख्यातगणा है। उससे मिश्रका भागहार असंख्यातगणा है। उससे सासादनका भागहार संख्यातगुणा है। उससे शुक्र-महाशुक्रमें असंयतका भागहार असंख्यातगुणा है। उससे मिश्रका भागहार असंख्यातगुणा है। उससे सासा- ३० दनका भागहार संख्यातगुणा है। उससे शतारसहस्रारमें असंयतका भागहार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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