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________________ ७२० गो० जीवकाण्डे किण्हवरसेण मुदा अवधिट्ठाणम्मि अवरअंसमुदा । पंचमचरिमतिमिस्से मज्झे मज्झेण जायते ॥५२४।। कृष्णवरांशेन मृताः अवधिस्थाने अवरांशमृताः। पंचमचरमतिमिश्रे मध्ये मध्येन जायते ॥५२४॥ कृष्णलेश्योत्कृष्टांशदिद मृतराद जीवंगळु सप्तमपृथ्वियोळोदे पटलमक्कुमदरवधिस्थानेद्रकबिलदोळु जायते पुटुवरु। कृष्णलेश्याजघन्यांशदिदं मृतराद जीवंगळु पंचमपृथ्विय चरमपटलद तिमिङद्रकबिलदोळु जायंते पुटुवरु । कृष्णलेश्यामध्यमांशदिदं मृतराद जीवंगळु सप्तमपृथ्विय अवधिस्थानेंद्रकदे चतुःश्रेणिबद्धंगळोळं आ बिलदिदं मेलण षष्ठ पृथ्विमघवियें बुददर पटलत्रयंगलोळु तत्तद्योग्यमागि जायते पुटुवरु। णीलुक्कस्संसमुदा पंचमअंधिंदयम्मि अवरमुदा । वालुकसंपज्जलिदे मज्झे मज्झेण जायंते ।।५२५॥ नीलोत्कृष्टांशमृताः पंचम अंधेद्रके अवरमृताः । बालुकासंप्रज्वलिते मध्ये मध्येन जायते ॥ नोललेश्योत्कृष्टांशदिदं मृतराद जीवंगळु पंचमपृथ्वियपटलपंचकदोळु द्विचरमपटलद अंबेंद्रकबिलदोळु जायंते पुटुवरु । पंचमपटलदोळं केलंबरु पुटटुवरदु कारणमागि पंचमारिष्टेयोळु १५ चरमपटलदोळ कृष्णलेश्याजघन्यांशदिदं नीललेश्योत्कृष्टांशदिदमुं, मृतराद केलवु जीवंगळ पटुवर बी विशेषमरियल्पडुगुं । नीललेश्याजधन्यांशदिदं मृतराद जीवंगळु बालुकाप्रभेयनवपटलं. कृष्णलेश्योत्कृष्टांशेन मृता जीवाः सप्तमपृथिव्यामेकमेव पटलं तस्यावधिस्थानेन्द्रके जायन्ते । कृष्णलेश्याजघन्यांशेन मता जीवाः पञ्चमपृथ्वीचरमपटलस्य तिमिस्रेन्द्र के जायन्ते । कृष्णलेश्यामध्यमांशेन मता जीवाः तदवधिस्थानेन्द्रकस्य चतुःश्रेणीबद्धेषु षष्टपृथ्वीपटल त्रये पञ्चमपृथ्वीचरमपटले च तत्तद्योग्यतया जायन्ते ॥५२४।। नीललेश्योत्कृष्टांशेन मृता जीवाः पञ्चमपथ्वीद्विचरमपटलस्यान्ध्रन्द्रके जायन्ते । केचित् पञ्चमपटलेऽपि जायन्ते । ततोऽरिष्टाचरमपटले कृष्णलेश्याजघन्यांशेन नीललेश्योत्कृष्टांशेनापि मृताः केचिज्जीवाः उत्पद्यन्ते । कृष्णलेश्याके उत्कृष्ट अंशसे मरे जीव सातवीं पृथिवीमें एक ही पटल है , उसके अवधिस्थान नामक इन्द्रक बिलमें उत्पन्न होते हैं। कृष्णलेश्याके जघन्य अंशसे मरे जीव पाँचवीं पृथ्वीके अन्तिम पटल सम्बन्धी तिमिस्र नामक इन्द्रक बिलमें उत्पन्न होते हैं। २५ कृष्णलेश्याके मध्यम अंशसे मरे जीव अवधिस्थान नामक इन्द्रकके चारों दिशा सम्बन्धी श्रेणीबद्ध बिलोंमें, छठी पृथ्वीके तीनों पटलोंमें और पाँचवीं पृथ्वीके अन्तिम पटलमें अपनीअपनी योग्यतानुसार उत्पन्न होते हैं ।।५२४।। नीललेश्याके उत्कृष्ट अंशसे मरे जीव पाँचवीं पृथ्वीके द्विचरम पटलके आन्ध्रेन्द्रकमें उत्पन्न होते हैं। कोई-कोई पाँचवें पटलमें भी उत्पन्न होते हैं। अरिष्ट पृथ्वीके अन्तिम ३० पटल में कृष्णलेश्याके जघन्य अंशसे और नीललेश्याके उत्कृष्ट अंशसे भी मरे कोई-कोई जीव उत्पन्न होते हैं, इतना विशेष जानना। नीललेश्याके जघन्य अंशसे मरे जीव बालुकाप्रभा नामक तीसरी पृथ्वीके नौ पटलोंमें-से अन्तिम पटल सम्बन्धी संप्रज्वलित इन्द्रकमें उत्पन्न १. म क बिलदिदं मेले षष्टपृथ्वि मघवियोलु पंचमपृथ्वि, अरिष्टेयेबुददर पटल पंचकदोलु चरमपटलदिदं केलगे षष्ठ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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