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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका ६८९ प्रमत्तादिचतुर्णायुतिः सामायिकद्विकं प्रमत्तर संख्ये ५९३९८२०६ । अप्रमत्तरसंख्ये २९६९९१०३ । उपशमकापूर्वकरणरु । २९९ । उपशमकानिवृत्तिकरणरु २९९ । क्षपकापूर्वकरणरु ५९८ । क्षपकानिवृत्तिकरणरु ५९८ । इंतु प्रमतादिचतुरर्गुणस्थानवत्तिगळ युति प्रत्येकसामायिक. संयमिगळसंख्येयु च्छेदोपस्थापनसंयमिगळ संख्ययक्कुमेक दोडे सामायिकसंयमिगळेनिबरनिबरे च्छेदोपस्थापनसंयमिगळप्पुरिदं। ८२०९९१०३। ८९०२९१०३ । क्रमदिंद शेषत्रयं परिहार- ५ विशुद्धिसंयमिगळ संख्येयु सूक्ष्मसापरायसंयमिगळ संख्ययु यथाख्यातसंयमिगळ संख्ययुत्रिरूपोनसप्तसहस्रमु ६९९७ । त्रिरूपोननवशतमु ८९७ । त्रिरूपोननवलक्षमुमक्कुं । ८९९९९७ । पल्लासंखेज्जदिमं विरदाविरदाण दव्वपरिमाणं। पुव्वुत्तरासिहीणो संसारी अविरदाण पमाणं ॥४८१॥ पल्यासंख्येयभागो विरताविरतानां द्रव्यप्रमाणं । पूयोक्तराशिहीनः संसारी अविरतानां १० प्रमा॥ ___पल्यासंख्यातेकभागं देशसंयतजीवद्रव्यप्रमाणमक्कु ५ मी पूर्वोक्तषट्राशिविहीन aa४० प्रमत्ताः ५, ९३, ९८, २०६ अप्रमत्ताः २, ९६, ९९, १०३, उपशमकाऽपूर्वकरणाः २९९, उपशमकानिवृत्तिकरणाः २९९, क्षपकापूर्वकरणाः ५९८, क्षपकानिवृत्तिकरणाः ५९८, एषां चतुर्णा युतिः प्रत्येकं सामायिकछेदोपस्थापनसंयमिसंख्या भवति उभयत्र समसंख्यात्वात् ८,९०,९९,१०३ । ८,९०, ९९, १०३ । परिहारविशुद्धिसूक्ष्मसांपराययथाख्यातसंयमिसंख्या क्रमेण त्रिरूपोनसप्तसहस्रं ६९९७ त्रिरूपोननवशतं ८९७, त्रिरूपोननवलक्षं ८९९९९७ भवति ॥४८०॥ पल्यासंख्यातकभागो देशसंयतजीवद्रव्यप्रमाणं भवति प एतत्पूर्वोक्तषडाशिविहीनसंसारिराशिरेव aa४० प्रमत्तादि चार गुणस्थानवर्ती जीवोंका जितना जोड़ है, उतने ही सामायिक और छेदोपस्थापना संयमी होते हैं। सो प्रमत्तसंयत पाँच करोड़ तिरानबे लाख, अदानवे हजार दो १० सौ छह ५९३ ९८ २०६, अप्रमत्तसंयत दो करोड़ छियानबे लाख, निन्यानबे हजार एक सौ तीन २९६९९१०३, उपशम श्रेणीवाले अपूर्वकरण गुणस्थानवर्ती दो सौ निन्यानबे २९९, उपशम श्रेणिवाले अपूर्वकरण गुणस्थानवर्ती दो सौ निन्यानबे २९९, उपशम श्रेणिवाले अनिवृत्तिकरण गुणस्थानवर्ती दो सौ निन्यानबे २९९, क्षपक श्रेणिवाले अपूर्वकरण पाँचसौ अठानबे, क्षपकश्रेणिवाले अनिवृत्तिकरण पाँचसौ अट्टानवे ५९८ इन सबका जोड़ आठ करोड़, नब्बे लाख, निन्यानबे हजार एक सौ तीन ८९०९९१०३ इतने जीव सामायिक संयमी और इतने ही छेदोपस्थापना संयमी होते हैं। दोनोंकी संख्या समान होती है। परिहार विशुद्धि संयतोंकी कम सात हजार ६९९७ है। सूक्ष्मसाम्पराय संयमियोंकी संख्या तीन कम नौ सौ ८९७ है । यथाख्यात संयतोंकी संख्या तीन कम नौ लाख ८९९९९७ है ॥४८०॥ पल्यके असंख्यातवे भाग देश संयमी जीवोंका प्रमाण है। इन छहों राशियोंको २५ संख्या ३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001817
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1997
Total Pages612
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size14 MB
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