SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४० गो० जीवकाण्डे तसरासिपुढवियादीचउक्कपत्तेयहीणसंसारी । साहारणजीवाणं परिमाणं होदि जिणदिळं ॥२०६॥ त्रसराशिपृथिव्यादिचतुष्कप्रत्येकहीनसंसारी । साधारणजीवानां परिमाणं भवति जिनदृष्टं॥ वक्ष्यमाणत्रसराशियावल्यसंख्येयभागभक्तप्रतरांगुलभाजितजगत्प्रतरप्रमितं = पृथिव्यादि ५ चतुष्टयं ते = a पृ=a वाFa अ==a Dal२ युति= ४ Ba६ = १ १० sal Da४ ९.९ १ 201१ =९/९४९ ९९९ इदु साधिकचतुर्गुणतेजस्कायिकराशिप्रमाणं = a४ प्रत्येकवनस्पतिराशिभेदद्वयं =23 इंती राशित्रयविहीनसंसारिराशिसाधारणजीवराशिप्रमाणमक्कुमदु जिनदृष्टं जिनकथितं ।१३।। त्रसराशिना वक्ष्यमाणप्रमाणेन आवल्यसंख्येयभागभक्तप्रतराङ्गलभाजितजगत्प्रतरप्रमितेन ४ तथा पृथिव्यादिचतुष्टयेन उक्तप्रमाणेन एतावता १५ ते = पृa अ =a sal मिलितेन ata sal 3 = = ४ ०।६ = १ als a 18 । । १ + ।४ साधिकचतुर्गणतेजस्कायिकराशिप्रमाणेन । ४ प्रत्येकवनस्पतिराशिद्वयन = a = a। चेति राशि२० त्रयेण विहीनसंसारराशिरेव साधारणजीवराशिप्रमाणं भवतीति जिनदृष्टं-कथितं वा १३= ॥२०६॥ आगे त्रसराशिका प्रमाण आवलीके असंख्यातवें भागसे भाजित प्रतरांगुलका भाग जगत्प्रतरमें देनेसे जो प्रमाण आवे,उतना है। तथा पृथिवीकाय आदि चारोंका प्रमाण जो ऊपर कहा है तैजस्कायिक राशिके प्रमाणसे चौगुनेसे भी कुछ अधिक है। तथा सप्रतिष्ठित और अप्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिका परिमाण ऊपर कहा है । ये तीनों राशियाँ संसारी जीवोंके २५ परिमाणमें-से कम कर देनेपर जो शेष रहे,उतना ही साधारण जीवोंका परिमाण जिनेन्द्रदेव ने कहा है ॥२०६॥ १. म तुष्कयुते । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001816
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages564
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy