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जीवतत्त्वप्रदीपिका
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६८ स ६८ २२
कायिकजघन्यावगाहनमावल्यसंख्येयभागगुणितमपत्तित ५'१९।८।६।८।२२।३।२ मिदं नोड
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६।८।२२ सूक्ष्मापाप्तभूकायिकजघन्यावगाहनमावल्पसंख्येयभागगुणितमनपत्तिसि प १९।८।५।८।२२॥३॥ दो राशियं नोडे सूक्ष्मात् सूक्ष्मस्य को गुणकार आवल्यसंख्येयभाग एंदितु स्वस्थानगुणकारंगळसूत्रो- ५ क्तक्रमदिदं नडेदु परस्थानमःप बादरवात कायिकन अपर्यातजन्यावगाहनं सूक्ष्मादबादरस्य को गुणकारः पल्यासंख्यातभागः एंदितु कृतांतोपदिष्टवाक्यप्रमाणदिदं पल्यासंख्यातभागदिदं गुणिसि
६।८।२२ यपत्तितमिदु प १९।८।५।८।२२।७।९ मी राशियं नोडे बादरतेजस्कायिकापजियन्याव
a a a गाहं बादराबादरस्य को गुणकारः पल्यासंख्येषभागः एंदितु स्वस्थानी सूत्रोक्तहमदिदं १० ६। ८ । २२ । ८
६। ८ । २२। a --- गुणित-प । १९ । ८ । ८ । ८ । २२ । १ । ९ मिदमपतितं प । १९ । ८ । ७ । ८ । २२।१।९ अतः
a a ६।८ । २२
सूक्ष्मापर्याप्ताप्कायिकस्य जघन्यावगाहनमावल्यसंख्येयभागगणितमपतितं ।।१९।८।६।८ । २२।१।९।
Baa अतः सूक्ष्मापर्याप्तभू कायिकस्य जघन्यावगाहनमावल्यसंख्येयभागगुणितमपतितं ६ । ८ । २२
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प। १९ । ८ । ५ । ८ । २२ । १।९। अतः सूक्ष्मात्सूक्ष्मस्य गुणकारं स्वस्थानभूतमतीत्य परस्थानभूतवादराa a a
अब उक्त अवगाहना स्थानोंके गुणकारका विधान कहते हैं, जो इस प्रकार है
सूक्ष्मनिगोदिया लब्ध्यपर्याप्तककी जघन्य अवगाहनाका स्थान उन्नीस बार पल्यके असंख्यातवें भागसे, नौबार आवलीके असंख्यातवें भागसे, बाईस बार एक अधिक आवलीके २० असंख्यातवें भागसे, और नौ बार संख्यातसे भाजित तथा बाईस बार आवलीके असंख्यातवें भागसे गुणित घनांगुल प्रमाण है । इस आदिभुत स्थानको स्थापित करके इससे सूक्ष्म अपर्याप्त वायुकायिक जीवका जघन्य अवगाहना स्थान आवलीके असंख्यातवें भाग गुणित है। सो इसका गुणाकार आवलीका असंख्यातवाँ भाग और पहले जो आवलीके असंख्यातवें भागका भागहार नौ बार कहा था, सो उसमें से एक बार आवलीके असंख्यातवे भागको समान २५ होनेसे दोनोंका अपवर्तन करनेपर पहले जहाँ नौ बार कहा था, उसके स्थानमें एक कम करके आठ बार आवलीका असंख्यातवाँ भागका भागहार जानना। इसी तरह आगे भी
१. सिद्धान्तोपदिष्ट ।
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