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________________ गो० जीवकाण्डे =२११११२ समयसमयानुकृष्टिचरमखंडपरिणामपुंजप्रमाणमक्कु २ १११।२११११।२१ १।२ मिल्लि =३२११११२ येकानुकृष्टिचयमं सोधिसुत्तिरलु तद्विचरमखंडपरिणामपुंजमक्कु २ १ १ १२ १ ११ १२ १ १ २ ५ मितधःप्रवृत्तकरणकालद्विचरमसमयानुकृष्टिगळु अनुकृष्टिपदमात्रंगळ्चयाधिकंगळरियल्पडुवु । इंतधःप्रवृत्तकरणपरिणामंगळ प्रथमसमयानुकृष्टि प्रथमखंड सर्वजघन्यमक्कु ३९ चरमसमयपरिणामंगळे नुकृष्टि चरमखंडं ५७ (“भ १") सर्वोत्कृष्टमक्कु इवेरडक्कमेल्लियु सादृश्यमिल्ल। शेषोपरितनसमयत्तिखंडगळधस्तनसमयत्तिखंडंगळोडनेयु मेणु परितनसमयत्तिखंडंगळोडनयुं यथासंभवमप्प सदृशतेयंदटु । द्वितीयसमयं मोदल्गोंडु ४० द्विचरमसमय । २१११।। २ प्रथमखण्डे २ १११।२१११। २११। २ युतेषु द्विचरमसमयानुकृष्टिचरमखण्डपरिणामपुञ्ज Da। २११।। २ प्रमाणं भवति २१११।२१ । ।२१।२ अकान कृष्टिचये शोधिते तदद्विचरमखण्ड 21 २११।१२ १५ परिणामपुञ्जो भवति २१११।२१११।१।२११।२ एवमधःप्रवृत्तकरणकालद्विचरमसमयानुकृष्टयोऽनुकृष्टिपदमाश्यश्चयाधिका ज्ञातव्याः । एवमधःप्रवृत्तकरणपरिणामानां प्रथमसमयानुकृष्टिप्रथमसर्वजघन्यखण्डस्य ३९ चरमसमयपरिणामानां चरमानुकृष्टिसर्वोत्कृष्टखण्डस्य ५७ च कुत्रापि सादृश्यं नास्ति शेषोपरितनसमयवर्तिखण्डानामधस्तनसमयवतिखण्डैः अथवा अधस्तनसमयतिखण्डानां उपरितनसमयवतिखण्डैः सह यथासंभवं सादृश्यमस्ति । द्वितीय द्विधरम समय सम्बन्धी अनुकृष्टि खण्ड अनुकृष्टि के गच्छ प्रमाण होते हैं। उन्हें क्रमसे एकएक चय अधिक करके स्थापित करना चाहिए। इस तरह तिर्यक रचनामें एक-एक समय सम्बन्धी खण्डोंमें परिणामोंका प्रमाण कहा।। ___ उक्त कथनका सारांश यह है कि पहले अधःकरणके एक-एक समयमें होनेवाले नाना जीवोंके परिणामोंका प्रमाण कहा था। अब उसमें होनेवाले एक-एक समय सम्बन्धी खण्डोंमें २५ परिणामोंका प्रमाण कहा है। सो ऊपरके और नीचेके समय सम्बन्धी खण्डोंमें परस्परमें १. मंगल सर्वोत्कृष्टामुकृष्टि खंड ५७ मिवेरडक्क । २.बष्टिखण्डान्यान्यनुकृष्टिपदभात्रचयाधिकानि ज्ञातव्यानि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001816
Book TitleGommatasara Jiva kanda Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages564
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Karma
File Size13 MB
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