SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 298
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भव ७,५१२,५१९ ५१२ भवग्रहणभव भवप्रत्ययिक १७२,२६१ भगृहीत १७२, १७५,३८० भंग भाव उपक्रम भावनिबन्धत भावप्रक्रम भावमोक्ष भावलेश्या भावसंक्रम भुजाकार भुजाकार उदय भुजाकार उपशामक भुजाकारसंक्रम भूतबली भट्टारक भोगान्तराय भ ५० ३२५ भुजाकारउदीरणा १५७,२६० मार्गणा मिश्रप्रक्रम मुक्त मूलनिर्वर्तना मोक्ष योगयवमध्य लाभान्तराय लेश्या लेश्याकर्म म ममत्तीतः आत्त पुद्गल ५१५ महावाचकक्षमाश्रमण ५७७ ५१० Jain Education International २३ ४१ ३ १६ २३७ य ४८५,४८८ ३३९,३४० ल ३७७ ३९८ १ ૬૪ पारिभाषिक शब्द सूची ४७३ व विध्यात भागहार विध्यातसंक्रम विनाश विपचिचद विपरिणामिता विपरिणामोपक्रम विशेष मनुष्य विशेषविशेषमनुष्य वीतरागछद्मस्थ वीर्यान्तराय वैक्रियिकषट्क व्यञ्जन ष षट्षष्ठिपद षट्स्थानपतितत्व सचित्तप्रक्रम सत्कर्ममार्गणा सत्कर्मस्थान सत्कर्मक ४८ संक्रमस्थान १९ : उदय ४०९ संक्लेशक्ष संप्राप्तितः ५०३ | संयतासंयतगुणश्रेणि २८३ | संयमभवग्रहण २८२,५५५ संयोग स श शुक्ललेश्या ४८४, ४८८, ४९२ | स्थासंज्ञा शुभ प्रकृति शैलेश्य सर्वघाति १४ सर्वमोक्ष ४८४ सर्वविपरिणामना ४९० सर्वसंक्रम संक्रम | संक्रममार्गणा ९३ | साकारक्षय 11 सादिसान्त नामकर्म १७६ स्थापना उपक्रम १८२ सामान्य मनुष्य १४ सुख २७९ | सुहृदुहपंचय ५१२ सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाती५२१,५७९ |सेचीयादो उदय ५२१,४७९ स्थापनाउपशामना स्थापनानिबन्धन २८२ | स्थापनाप्रक्रम ४९३ स्थापना मोक्ष ( १० 回回 For Private & Personal Use Only ५१९ ४०८ ३७० २८९ २९७ ३०५ २४ २३८,२६४ ४०४ ९.३ ६ १६४ १७१,३७७,५३९ स्थापनालेश्या १५ | स्थापनासंक्रम ३३९ ५१९ स्थितिक्षयजनित उदय २८९ १५ ४०८ | स्थितिदीर्घ ५०८ ३३८ ५७७ समवाय ४८६ ३३७, ३३८ २७७ | स्थितिबन्धाध्यवसान २४ स्थितिमोक्ष ३३७,३३८ | समुच्छिन्न क्रियानिवृत्ति ५२१ स्थितिविपरिणामना समुच्छिन्नक्रियाप्रतिपाती ५७९ स्थितिसत्कर्म २८३ ५२८ सम्यग्दर्शन ३४७ १२ स्थितिसंक्रम सर्वकरणोपशामना २७५ स्थिति स्व ५१० १७१,३२४ ३३७ २८९ ४ १ २७५ २ १५ ३३७ ४४८ ११८,५४२ हत्तसमुत्पत्तिक २८३ | हतसमुत्पत्तिककर्म १११ ४०९ | हतसमुत्पत्तिकक्रम ४०२,४०३ ४९५ www.jainelibrary.org
SR No.001815
Book TitleShatkhandagama Pustak 16
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1995
Total Pages348
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy