________________
५३२ )
छक्खंडागमे संतकम्म
संकामेंतस्स सादावेदयस्स । असादस्स उक्कस्सटिदिसंतकम्मं कस्स ? असादवेदयस्स तस्सेव उक्कस्सियंटिदि बंधमाणस्स ।
मिच्छत्त-सोलसकसायाणं उक्कस्सटिदिसंतकम्मं कस्स ? पयडिवेदयस्स उक्कस्सियं दिदि बंधमाणस्स । सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं उक्कस्सयं टिदिसंतकर मं कस्स? उक्कस्सियाए सम्मत्तद्विदीए सह पढमसमयसम्माइद्विस्स । हस्स-रदि-अरदि-सोग-भयदुगुंछा-तिण्णिवेदाणमुक्कस्सयं द्विदिसंतकम्मं कस्स ? अप्पिदपडि बंधतो वेदयंतस्स कसायाणमुक्कस्सट्ठिदि णोकसायाणं संकामेंतस्स ।
णिरय-देवाउआणं उक्कस्सटिदिसंतकम्मं कस्स ? पुव्वकोडीए तिभागस्स पढमसमए उक्कस्सद्धिदि बंधमाणस्स । जाओ द्विदीओ उक्कस्सियाओ कस्स ? उक्कस्सियं टिदि बंधिदूण जाव पढमसमयतब्भवत्थो ति ताव । एवं मणुस्स-तिरिक्खाउआणं ।
णिरयगइणामाए उकस्सयं द्विदिसंतकम्म कस्स? उक्कस्सियं दिदि बंधमाणस्स। उक्कस्सियाओ जाओ द्विदीओ* कस्स? तस्स चेव वा, उक्क्रस्तियं टिदि बंधिPणुववण्णपढमसमए णेरइयस्स वा । तिरिक्खगइणामाए उक्कस्तियं द्विदिसंतकम्मं कस्स ? देवस्स णेरइयस्स वा उक्कस्सियं दिदि बंधमाणस्स । जाओ द्विदीओ उक्कस्सियाओ*
जीवके होता है । असातावेदनीयका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह उसकी ही उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवाले असातावेदक जीवके होता है ।
मिथ्यात्व और सोलह कषायोंका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह विवक्षित प्रकृतिका वेदन करते हुए उसकी उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवाले जीवके होता है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह सम्यक्त्वकी रत्कृष्ट स्थितिके साथ प्रथम समयवर्ती सम्यग्दष्टिके होता है। हास्य. रति. अरति. शोक. भय और तीन वेदः इनका उत्कष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह विवक्षित प्रकतिको कर वेदन करते हए कषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिको नोकषायों में संक्रान्त करनेवाले के होता है।
नारकायु और देवायुका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह पूर्वकोटिके तृतीय भागके प्रथम समयमें उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवाले के होता है। उनकी उत्कृष्ट जस्थितियां किसके होती हैं ? वे उत्कृष्ट स्थितिको बांधकर जब प्रथम समयवर्ती तद्भवस्थ होता है तब होती हैं। इसी प्रकार मनुष्यायु और तिर्यगायुकी प्ररूपणा करना चाहिये ।
नरकगति नामकर्मका उत्त्कृष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? वह उसकी उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवालेके होता है। उसकी उत्कृष्ट जस्थितियां किसके होती हैं ? उसके ही होती हैं, अथवा उत्कृष्ट स्थितिको बांधकर उत्पन्न होनेके प्रथम समयमें नारकी जीवके होती हैं । तिर्यग्गति नामकर्मका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म किसके होता है ? उसकी उकृष्ट स्थितिको बांधनेवाले देव अथवा नारकीके उसका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म होता है। उसकी उत्कृष्ट जस्थितियां
8 अ-ताप्रत्यौः 'उक्कस्सय ' इति णठः। 4 अ-काप्रत्योः 'कस्स बंधमाण यस्स' इति पाठः । * अ-काप्रत्योः नोपलभ्यते पदमिदम् । * ताप्रतौ ' उक्कस्सियाओ द्विदीओ जाओ' इति पाठः ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org.