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छक्खंडागमे संतकम्म
कसायपाहुडे कदं तहा कायव्वं । सेसाणं कम्माणं पयडिट्टाणमग्गणा सुगमा । एवं पयडिसंतकम्ममग्गणा समत्ता ।
एत्तो टिदिसंतकम्मं दुविहं मूलपयडिटिदिसंतकम्मं उत्तरपयडिटिदिसंतकम्म चेदि । तत्थ मूलपयडिटिदिसंतकम्मं सुगमं । उत्तरपयडिट्ठिदिसंतकम्मे अद्धाच्छेदो। तं जहा-- मदिआवरणस्स उक्कस्सटिदिसंतकम्मं तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो पडिवुण्णाओD, जाओ द्विदीओ वि एत्तियाओ चेव । जहा मदिआवरणस्स उक्कस्सद्विदिसंतकम्मस्स अद्धाच्छेदो कदो तहा सेसचदुणाणावरण-चदुदंसणावरण-पंचंतराइयाणं कायव्वो । पंचण्णं दंसणावरणीयाणं जट्टिदिसंतकम्मं तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो पडिवुण्णाओ, जाओ द्विदीओ समऊणाओ । सादस्स जट्टिदिसंतकम्म जाओ द्विदीओ च तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ आवलियूणाओ जट्टिदिसंतकम्म जाओ द्विदीओ च असादस्स तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ पडिवुण्णाओ।
मिच्छत्तस्स जट्टिदिसंतकम्मं जाओ द्विदीओ च सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ पडिवुण्णाओ। सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ अंतोमुत्तूणाओ। सोलसण्णं कसायाणं चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीओ पडिवुण्णाओ। णवण्णं णोकसायाणं जटिदिसंतकम्मं जाओ द्विदीओ च चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीओ आवलियूणाओ। किया गया है वैसे करना चाहिये । शेष कर्मोंकी प्रकृतिस्थानमार्गणा सुगम है । इस प्रकार प्रकृतिसत्कर्ममार्गणा समाप्त हुई।
यहां स्थितिसत्कर्म दो प्रकारका है-- मूलप्रकृतिस्थिसत्कर्म और उत्तरप्रकृतिस्थितिसत्कर्म । इनमें मूलप्रकृतिस्थितिसत्कर्म सुगम है। उत्तरप्रकृतिस्थितिसत्कर्ममें अद्धाछेदका कथन इस प्रकार है-- मतिज्ञानावरणका उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्म सम्पूर्ण तीस कोडाकोडि सागरोपम प्रमाण तथा जस्थितियां भी इतनी मात्र ही हैं । जैसे मतिज्ञानावरणके उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्मका अद्धाच्छेद किया है वैसे ही शेष चार ज्ञानावरण, चार दर्शनावरण और पांच अन्तराय प्रकृतियोंका भी करना चाहिये । निद्रादिक पांच दर्शनावरण प्रकृतियोंका जस्थितिसत्कर्म परिपूर्ण तीस कोडाकोडि सागरोपम तथा जस्थितियां एक समय कम तीस कोडाकोडि सागरोपम मात्र हैं। सातावेदनीयका जस्थितिसत्कर्म और जस्थितियां आवलीसे हीन तीस कीडाकोडि सागरोपम प्रमाण हैं । असातावेदनीयका जस्थितिसत्कर्म और जस्थितियां परिपूर्ण तीस कोडाकोडि सागरोपम प्रमाण है।
मिथ्यात्वका जस्थितिसत्कर्म और जस्थितियां परिपूर्ण सत्तर कोडाकोडि सागरोपम मात्र हैं । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृतियोंका जस्थितिसत्कर्म और जस्थितियां अन्तर्मुहूर्त कम सत्तर कोडाकोडि सागरोपम प्रमाण हैं । सोलह कषायोंका जस्थितिसत्कर्म और जस्थितियां परिपूर्ण चालीस कोडाकोडि सागरोपम प्रमाण हैं । नौ नोकषायोंका जस्थितिसत्कर्म और
. अ-काप्रत्योः 'विसेसाणं', ताप्रती (वि) सेसाणं' इति पाठः।.ताप्रतौ 'पयडिसंकम (संत ) मग्गणा' इति पाठः। अप्रतो 'पडिवण्णाओ' इति पाठः । अ-काप्रत्योः 'पडिवण्णाश्रो' इति पाठः ।
४ प्रतिषु 'जट्टिदीओ' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only
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