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छक्खंडागमे संतकम्म । बेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं । जं सादत्ताए बद्धं छुद्धं पडिसंछुद्धं सादत्ताए वेदिज्जदि तमसंखेज्जगुणं । जं सादत्ताए बद्धं संछुद्धं पडिसंछुद्धं असादत्ताए वेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं। जमसादत्ताए बद्धं संछुद्धं पडिसंछुद्धं सादत्ताए वेदिज्जदि तं तत्तियं चेव । जमसादत्ताए बद्धं संछुद्धं पडिसंछुद्धं असादत्ताए वेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं ।
बेइंदिएसु विपच्चिदेण*। तं जहा- जं सादत्ताए बद्धं संछुद्धं पडिसंछुद्धं असादत्ताए वेदिज्जदि तं थोवं । जमसादत्ताए बद्धं संछुद्धं पडिसंछुद्धं असादत्ताए वेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं । जं सादत्ताए बद्धं संछुद्धं पडिसंछुद्धं सादत्ताए वेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं । जमसादत्ताए बद्धं संछुद्धं पडिसंछुद्धं सादत्ताए वेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं । जं सादत्ताए बद्धं असंछुद्धं अपडिसंछुद्धं असादत्ताए वेदिज्जदि तमसंखेज्जगुणं । जमसादत्ताए बद्ध असंछुद्धं अपडिसंछुद्धं असादत्ताए वेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं । जं सादत्ताए बद्धं असंछुद्धं अपडिसंछुद्धं सादत्ताए वेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं । जमसादत्ताए बद्धं असंछुद्धं अपडि. संछुद्धं सादत्ताए वेदिज्जदि तं संखेज्जगुणं । जहा बीइंदिएसु तहा तीइंदिएसु चरिदिएसु च । एवं सादासादे त्ति समत्तमणुयोगद्दारं ।
होता हुआ असातस्वरूपसे वेदा जाता है वह संख्यातगुणा है। ( ५ ) जो सात वरूपसे बांधा जाकर संक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हुआ सातस्वरूपसे वेदा जाता है वह असंख्यातगुणा है । (६) जो सातस्वरूपसे बांधा जाकर संक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हुआ असातस्वरूपसे वेदा जाता है वह
तगुणा है। (७) जो असातस्वरूपसे बांधा जाकर संक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हआ सातस्वरूपसे वेदा जाता है वह उतना मात्र ही है। (2) जो असातस्वरूपसे बांधा जाकर संक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हुआ असातस्वरूपसे वेदा जाता है वह संख्यातगुणा है।
द्वीन्द्रियोंमें विपच्चितस्वरूपसे अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा इस प्रकार है- ( १ ) जो सातस्वरूपसे बांधा जाकर संक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हुआ असातस्वरूपसे वेदा जाता है वह स्तोक है।। २ ) जो असातस्वरूपसे बांधा जाकर संक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हआ असातस्वरूपसे वेदा जाता है वह संख्यातगुणा है । ( ३ ) जो सातस्वरूपसे बांधा जाकर संक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हआ सातस्वरूपसे वेदा जाता है वह संख्यातगणा है। ( ४ ) जो असातस्वरूपसे बांधा जाकर संक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हआ असातस्वरूपसे वेदा जाता है वह संख्यातगणा है। ( ५ ) जो सातस्वरूपसे बांधा जाकर असंक्षिप्त व प्रतिसंक्षिप्त होता हुआ असातस्वरूपसे वेदा जाता है वह असंख्यातगुणा है। (६) जो असातस्वरूपसे बांधा जाकर असंक्षिप्त व अप्रतिसंक्षिप्त होता हुआ असातस्वरूपसे वेदा जाता है वह संख्यातगुणा है। (७ ) जो सातस्वरूपसे बांधा जाकर असंक्षिप्त व अप्रतिसंक्षिप्त होता हुआ सातस्वरूपसे वेदा जाता है वह संख्यातगुणा है। (८) जो असातस्वरूपसे बांधा जाकर असंक्षिप्त व अप्रतिसंक्षिप्त होता हुआ सातस्वरूपसे वेदा जाता है वह संख्यातगुणा है। जिस प्रकार द्वीन्द्रियोंमें यह प्ररूपणा की गयी है उसी प्रकार त्रीन्द्रियों और चतुरिन्द्रियों में भी समझना चाहिय । इस प्रकार सातासात यह अनुगोगद्वार समाप्त हुआ।
* प्रतिष 'विअंचिदेण' इति पाठः ।
का-ताप्रतोः 'ती इंदिय-चउरिदिएस एवं 'इति पाठः ।
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