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उवक्कमाणुयोगद्दारे भुजगरादीणमंतरं
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अवट्टिउदीरणा । अणुदीरणाओ उदीरेंतस्स * अवत्तव्वउदीरणा । एदेण अट्ठपदेण उवरिमअहियारा वत्तव्वा ।
सामित्तं - भुजगारउदीरओ, अप्पदरउदीरओ अवट्ठिदउदीरओ च को होदि ? अण्णदरो मिच्छाइट्ठी सम्माइट्ठी वा । अवत्तव्वउदीरया * णत्थि । एवं सामित्तं समत्तं ? ।
एयजीवेण कालो - भुजगार- अप्पदरउदीरयाणं जहणेण एगसमओ, उक्कस्सेण बे समया । तं जहा - उवसंतकसाए सुहुमसांपराइए जादे छ उदीरेंतस्स एगो भुजगारसमओ । पुणो बिदियसमए कालं काढूण देवे सुप्पण्णस्स पढमसमए अट्ठ उदीरेंतस्स बिदिओ भुजगारसमओ । एवं भुजगारस्स बे समया । पमत्तसंजदचरिमसमए आउए उदयावलियं पविट्ठे सत्त उदीरंतस्स एगो अप्पदरसमओ । तदो बिदियसमए अप्पमत्तगुणे पविणे वेदणीएण विणा छ उदीरेंतस्स बिदिओ अप्पदरसमओ । एवमप्पदर उदीरणाए वि उक्कस्सेण बे चैव समया । अवट्टिदउदीरणाए कालो जहणेण एगसमओ, उक्कस्सेण तेत्तीसं सागरोवमाणि समयाहियाए आवलियाए ऊणाणि, देवे सुप्पण्णपढमसमओ मरणावलिया च । एवं भुजगारकालो समत्तो ।
भुजगार उदीरणाए अंतरं जहण्णेण एक्को वा दो वा समया । कुदो? पंचविहअवक्तव्य उदीरणा होती है । इस अर्थपदके अनुसार आगेके अधिकारोंका कथन करना चाहिये । स्वामित्व - भुजाकार उदीरक, अल्पतर उदीरक और अवस्थित उदीरक कौन होता है ? अन्यतर मिथ्यादृष्टि अथवा सम्यग्दृष्टि जीव उनका उदीरक होता है । अवक्तव्य उदीरक नहीं हैं । इस प्रकार स्वामित्व समाप्त हुआ ।
एक जीवकी अपेक्षा काल -- भुजाकार और अल्पतर उदीरकोंका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे दो समय प्रमाण है । वह इस प्रकारसे -- उपशान्तकषाय जीवके सूक्ष्मसाम्परायिक होकर छह प्रकृतियोंकी उदीरणा करनेपर भुजाकार उदीरणाका एक समय प्राप्त होता है । पश्चात् द्वितीय समय में मृत्युको प्राप्त होकर देवोंमें उत्पन्न हुए उक्त जीवके प्रथम समयमें आठ कर्मोकी उदीरणा करनेपर भुजाकार उदीरणाका द्वितीय समय प्राप्त होता है । इस प्रकार भुजाकार उदीरणाका उत्कृष्ट काल दो समय है । प्रमत्तसंयत गुणस्थानके अन्तिम समयमें आयुके उदयावली में प्रविष्ट होनेपर सात कर्मोंकी उदीरणा करनेवालेके अत्पतर उदीरणाका एक समय काल होता है । पश्चात् द्वितीय समयमें अप्रमत्त गुणस्थानको प्राप्त होनेपर वेदनीयके विना छकी उदीरणा करनेवाले के अल्पतर उदीरणाका द्वितीय समय पाया जाता है । इस प्रकार अल्पतर उदीरणाके भी उत्कर्षसे दो ही समय हैं । अवस्थित उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे एक समय अधिक आवली से हीन तेतीस सागरोपम प्रमाण है । यहां एक समय और एक आवलीसे देवोंमें उत्पन्न होनेका प्रथम समय और मरणावली ली गई है । इस प्रकार काल समाप्त हुआ ।
भुजाकार उदीरणाका अन्तर जघन्यसे एक व दो समय है, क्योंकि, पांच कर्मोंका उदीरक * ताप्रती 'उदीरंतस्स' इति पाठः । प्रत्योरुभयोरेव 'अवत्तव्वत्तउदीरणा' इति पाठः । ताप्रती ' अवद्विद (अवत्तन्त्र ) उदीरया इति पाठः । ताप्रतौ 'समत्तं ' इत्येतत् पदं नोपलभ्यते । काप्रती ' काले' इति पाठः ।
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