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- प्रकाशकीय निवेदन --
षट्खण्डागम धवला सिद्धांत ग्रंथके पंचम खण्डके पंद्रहवें पुस्तकमें वर्गणाओंका सविस्तर वर्णन किया गया है।
इस ग्रंथका पूर्व प्रकाशन श्रीमंत सेठ सिताबराय लक्ष्मीचन्द्र जैन साहित्योद्धारक फंड विदिशा द्वारा हुआ है। उसका मूल ताडपत्र ग्रंथसे मिलाकर संशोधित पाठसहित द्वितीयावृत्तिका प्रकाशन अधिकार प्राप्त जीवराज जैन ग्रंथमाला सोलापुर द्वारा प्रकाशित करनेमें हम अपना सौभाग्य समझते हैं ।
स्व. ब्र. रतनचंदजी मुख्तार ( सहारनपुर ) तथा पं. जवाहरलालजी सिद्धान्त शास्त्री ( भिंडर ) इनके द्वारा भेजे हुए संशोधनका भी इस संशोधनकार्यमें हमें सहयोग मिला जिसके लिए हम सभी सज्जनोंके अतीव आभारी हैं ।
इस ग्रंथका प्रूफ संशोधन कार्य जीवराज जैन ग्रंथमालाके संपादक श्री. पं. नरेंद्रकुमार भिसीकर शास्त्री तथा श्री. धन्यकुमार जैनी द्वारा संपन्न हुआ है । तथा मुद्रणकार्य कल्याण प्रेस, सोलापुर इनके द्वारा संपन्न हुआ है। हम इनके भी आभार प्रदर्शित करते हैं।
धर्मानुरागी श्रीमान् डॉ. अप्पासाहेब कलगोंडा नाडगौडा पाटील तथा उनकी धर्मपत्नी डॉ. सौ. त्रिशलादेवी नाडगौडा पाटील इन महानुभावोंने षट्खण्डागम धवला पुस्तक १० से १६ तकके पुनर्मुद्रणके लिए आर्थिक सहयोग देकर जिनवाणीकी सेवाका महान आदर्श उपस्थित किया। इसलिए उनका हार्दिक अभिनंदन करते हुए हम उनके सहयोग के लिए अनेकशः धन्यवाद प्रकट करते हैं।
-रतनचंद सखाराम शहा
मंत्री
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