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________________ ३३० ) छवखंडागमे संतकम्म गुणा। पयला-णिद्दाणिद्दा-पयलापयला-थीणगिद्धि-सादासाद-सोलसकसाय-हस्स-रदिअरदि-सोग-भय-दुगुंछाणं णिद्दाभंगो। मिच्छत्तस्स अवत्तव्ववेदया थोवा। अवट्टिदवेदया अणंतगणा। अप्पदर० अणंतगणा। भजगार० संखे० गणा। सम्मत्तस्स अवदिदवेदया थोवा। भुजगारवेदया संखे० गुणा । अवत्तव्ववेदया असंखे० गुणा । अप्पदर० असंखे० गुणा। सम्मामिच्छत्तस्स अवट्ठिद० थोवा। भुजगार० असंखे० गुणा। अवत्तव्व० असंखे० गुणा। अप्पदर० असंखे० गुणा। णवंसयवेदस्स* मिच्छत्तभंगो। इत्थिपुरिसवेदाणं अवट्ठिदवेदया थोवा । अवत्तव्व० असंखे० गुणा । अप्पदर० असंखे० गुणा । भुजगार० विसेसा० । देव-णेरइयाउआणं अवत्तव्ववेदया थोवा। अप्पदर० असंखे० गुणा। मणुसाउअस्स अवट्ठिद० थोवा । अवत्तव्ववेदया असंखे० गुणा । भुजगार०असंखे० गुणा । अप्पदरवेदया संखे०० गुणा । तिरिक्खाउअस्स अवत्तव्ववेदया थोवा । अवट्ठिदवेदया अणंतगुणा। भुजगारवेदया अणंतगुणा । अप्पदर० संखे० गुणा । णिरयगइणामाए अवट्ठिद० थोवा। अप्पदर० असंखे० गुणा। अवत्तव्व० असंखे० गुणा । भुजगार० असंखे० गुणा । तिरिक्खगइणामाए अवत्तव्व थोवा । अवट्ठिद० अणंतगुणा। अप्पदर० अणंतगुणा। भुजगार० संखे० गुणा । मणुसगइणामाए अवट्ठिद० भुजाकारवेदक संख्यातगुणे हैं । प्रचला, निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला, स्त्यानगृद्धि, सातावेदनीय असातावेदनीय, सोलह कषाय, हास्य, रति, अरति, शोक, भय और जुगुप्साकी प्ररूपणा निद्राके समान है । मिथ्यात्वके अवक्तव्यवेदक स्तोक हैं। अवस्थितवेदक अनन्तगुणे हैं। अल्पतरवेदक अनन्तगुणे हैं । भुजाकारवेदक संख्यातगुणे हैं । सम्यक्त्वके अवस्थितवेदक स्तोक हैं । भुजाकारवेदक, संख्यातगुणे हैं। अवक्तव्यवेदक असंख्यातगुणे हैं। अल्पतरवेदक असंख्यातगुणे हैं। सम्यग्मिथ्यात्वके अवस्थितवेदक स्तोक हैं। भुजाकारवेदक असंख्यातगुण हैं। अवकाव्यवेदक असंख्यातगुणे हैं। अल्पतरवेदक असंख्यातगुणे है। नपुंसकवेदकी प्ररूपणा मिथ्यात्वके समान है। स्त्रीवेद और पुरुषवेदके अवस्थितवेदक स्तोक हैं। अवक्तव्यधेदक असंख्यातगुणे हैं । अल्पतरवेदक असंख्यातगुणे हैं। भुजाकारवेदक विशेष अधिक है। . देवायु और नारकायुके अवक्तव्यवेदक स्तोक हैं। अल्पतरवेदक असंख्यातगुणे हैं। मनुष्यायुके अवस्थितवेदक स्तोक हैं। अवक्तव्यवेदक असंख्यातगुणे हैं। भुजाकारवेदक असंख्यातगुणे हैं। अल्पतरवेदक संख्यातगुणे हैं। तिर्यंचआयुके अवक्तव्य वेदक स्तोक हैं। अवस्थितवेदक अनन्तगुणे हैं। भुजाकारवेदक अनन्तगुण हैं । अल्पतरवेदक संख्यातगुणे हैं। नरकगति नामकर्मके अवस्थितवेदक स्तोक हैं। अल्पतरवेदक संख्यातगुणे हैं। अवक्तव्यवेदक असंख्यातगुणे हैं। भुजाकारवेदक असंख्यातगुणे हैं। तिर्यंचगति नामकर्मके अवक्तव्यवेदक स्तोक हैं । अवस्थितवेदक अनन्तगुणे हैं। अल्पतरवेदक अनन्तगुणे हैं। भुजाकार * सत्कर्मपंजिकायां ' असंखेज्जगुणा ' इति पाठः। 8 अ-काप्रत्योः ' णवंसयवेदयस्स' इति पाठः । ताप्रतौ ' असंखे० गुणा। .........। मणुसाउअस्स' इति पाठः। अ-काप्रत्योः 'उच्चागोद०', ताप्रतौ 'उच्चागोद० (अवट्टिद०)' इति पाठः। ॐ सत्कर्मपजिकायां ' असं०' इति पाठः । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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