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________________ २९८ ) छक्खंडागमे संतकम्मं सेडिसीसयस्स । सम्मामिच्छत्तस्स उक्कस्सओ पदेसउदओ कस्स ? गुणिदकम्मंसियस्स उदिण्णसंजमा संजम - संजमगुण से डिसीसयस्स । सम्मत्तस्स उक्कस्सओ पदेसउदओ कस्स ? गुणिदकम्मं सियस्स चरिमसमयअक्खीणदंसणमोहणीयस्स । अताणुबंधिचक्कस्स मिच्छत्तभंगो । अट्ठण्णं पि कसायाणमुक्कस्सओ पदेसउदओ कस्स ? जो कसाय उवसामओ से काले अंतरं काहिदि त्ति मदो देवो जादो तस्स अंतोमुहुत्तमुववण्णस्स जाधे गुणसे डिसीसय मुदिष्णं ताधे उक्कस्सओ उदओ * । हस्स - रदि - अरदि - सोग - भय - दुगुंछाणं उक्कस्सओ पदेसउदओ कस्स ? जो कसा उवसामओ से काले अंतरं काहिदि त्ति मदो देवो जादो तस्स जाधे अपच्छिमं गुणसेडिसीसयमुदयमागदं ताधे उक्कस्सओ उदओ । अपज्जत्तपाओग्गजहणिया हस्स~रदिवेदगद्धा थोवा । जेण कालेन गुणसेडिसीसगमुदयमेदि सो कालो संखेज्जगुणो । उक्कस्सिया हस्स- रदिवेदगद्धा सखेज्जगुणा । एदेण कारणेण जस्स हस्स- रदीणमुक्कस्सओ उदओ तस्स चेव अरदि-सोगाणं पि उक्कस्सओ उदओ कायव्वो । अधवा छण्णमेदासि हस्सादियाणं उक्कस्सओ पदेसुदओ चरिमसमयअपुव्वकरणखवयस्स । तिष्णं वेदाणं उक्कस्सओ उदओ कस्स ? चरिमसमयउदए वट्टमाणस्स खवयस्स गुणिदकम्मंसियस्स । तिष्णं संजलणाण सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट प्रदेश उदय किसके होता है ? वह संयमासंयम और संयम गुणश्रेणिशीर्षके उदय युक्त गुणितकर्मींशिक के होता है । सम्यक्त्वका उत्कृष्ट प्रदेश उदय किसके होता है? जो अन्तिम समयवर्ती अक्षीणदर्शनमोह है ऐसे गुणितकर्माशिक जीवके सम्यक्त्वका उत्कृष्ट प्रदेश उदय होता है । अनन्तानुबन्धिचतुष्ककी प्ररूपणा मिथ्यात्व के समान है । आठों ही कषायों का उत्कृष्ट प्रदेश उदय किसके होता है ? जो कषायउपशामक जीव अनन्तर कालमें अन्तरको करेगा, इस स्थिति में वर्तमान रहकर मरणको प्राप्त होता हुआ देव उत्पन्न हुआ है उसके उत्पन्न होने के अन्तर्मुहूर्त में जब गुणश्रेणिशीर्षक उदीर्ण होता है तब उसके उनका उत्कृष्ट प्रदेश उदय होता है । हास्य, रति, अरति, शोक, भय और जुगुप्साका उत्कृष्ट प्रदेश उदय किसके होता है ? जो कषाय उपशामक जीव अनन्तर कालमें अन्तरको करेगा, इस स्थितिमें मरणको प्राप्त होकर देव उत्पन्न हुआ है उसके जब अन्तिम गुणश्रेणिशीर्षक उदयको प्राप्त होता है तब उसके उनका उत्कृष्ट प्रदेश उदय होता है । हास्य और रतिका अपर्याप्त योग्य जघन्य वेदककाल स्तोक है । जिस काल में गुणश्रेणिश र्षक उदयको प्राप्त होता है वह संख्यातगुणा है । उत्कृष्ट हास्य-रतिवेदककाल संख्यातगुणा है । इस कारण जिसके हास्य व रतिका उत्कृष्ट प्रदेश उदय होता है उसके ही अरति और शोकका भी उत्कृष्ट उदय करना चाहिये । अथवा इन हास्यादि छह प्रकृतियोंका उत्कृष्ट प्रदेश उदय अन्तिम समयवर्ती अपूर्वकरण क्षपकके होता है। तीन वेदोंका उत्कृष्ट प्रदेश उदय किसके होता है ? वह उदय के अन्तिम समय में वर्तमान क्षपक गुणितकर्माशिकके होता है । अप्रत 'गुणसेडीए सीसय-', का-ताप्रत्योः 'गुणसेडीसीसय-' इति पाठः । * अ-काग्त्योः 'उक्कस्सओदइओ' इति पाठः । अत 'असखेज्जगुणो' इति पाठः । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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