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उवक्कमाणुयोगद्दारे पदेसउदीरणा
( २५३ एत्तो पदेसउदीरणा दुविहा मूलपयडिपदेसउदीरणा उत्तरपयडिपदेसउदीरणा चेदि । मूलपयडिपदेसउदीरणं चउवीसअणुयोगद्दारेहि मग्गिदूण भुजगार-पदणिक्खेववड्ढीसु परूविदासु मूलपयडिपदेसउदीरणा समत्ता होदि ।
उत्तरपयडिपदेसउदीरणाए सामित्तं । तं जहा- मदिआवरणस्स उक्कस्सपदेस. उदीरणा कस्स? समयाहियावलियचरिमसमयछदुमत्थस्स । सुदावरण-केवलणाणकेवलदसणचक्खु-अचक्खुदंसणावरण-मणपज्जवणाणावरणाणं मदिणाणावरणभंगो । एवमोहिणाणओहिदसणावरणाणं पि उक्कस्सपदेसउदीरणा वत्तव्वा । णवरि विणा ओहिलंभेण, पमत्तापमत्तद्धासु ओहिणाणसहेज्जुक्कस्सविसोहीहि ओकड्डिय सुहुमीकयउदयगोवच्छत्तादो । णिहा-पयलाणमुक्कस्सिया पदेसउदीरणा कस्स ? उवसंतवीयरागस्स । णिहाणिद्दा-पयलापयला-थीणगिद्धि-सादासादाणं उक्कस्सिया उदीरणा कस्स ? पमत्तसंजदस्स से काले अप्पमत्तगुणं पडिवज्जिहिदि त्ति ट्ठियस्स।
मिच्छत्त-अणंताणुबंधीणं उक्क० उदीरणा कस्स? चरिमसमयमिच्छाइद्विस्स से काले सम्मत्तं संजमं च पडिविज्जहिदि त्ति द्विदस्स । सम्मत्तस्स उक्क० उदीरणा कस्स? समयाहियावलियकदकरणिज्जस्स । सम्मामिच्छत्तस्स उक्क० उदी० कस्स? चरिम
यहां प्रदेशउदीरणा दो प्रकारको है- मूलप्रकृतिप्रदेश उदीरणा और उत्तरप्रकृतिप्रदेशउदीरणा। इनमें मूलप्रकृतिप्रदेशउदीरणाको चौबीस अनुयोगद्वारोंके द्वारा खोजकर भुजाकार, पदनिक्षेप और वृद्धिकी प्ररूपणा कर चुकनेपर मूलप्रकृतिप्रदेशउदीरणा समाप्त हो जाती है ।
उत्तरप्रकृतिप्रदेशउदीरणामें स्वामित्वकी प्ररूपणा करते है। वह इस प्रकार है-- मतिज्ञानावरणकी उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा किसके होती है ? जिसके अन्तिम समयवर्ती छदमस्थ होने में एक समय अधिक आवली मात्र शेष रही है उसके मतिज्ञानावरणकी उत्त उदीरणा होती है। श्रुतज्ञानावरण, केवलज्ञानावरण, केवलदर्शनावरण, चक्षुदर्शनावरण, अचक्षुदर्शनावरण और मनःपर्ययज्ञानावरण सम्बन्धी उक्त उदीरणाकी प्ररूपणा मतिज्ञानावरणके समान है। इसी प्रकार अवधिज्ञानावरण और अवधिदर्शनावरणकी भी उकष्ट प्रदेशउदीरणाका कथन करना चाहिये । विशेष इतना है कि उसका कथन अवधिलब्धिके बिना करना चाहियं, क्योंकि, प्रमत्त व अप्रमत्त कालोंमें अवधिज्ञानसे सहकृत उत्कृष्ट विशद्धियोंके द्वारा अपकर्षण करके उदयगोपूच्छाओंको सूक्ष्म किया गया है। निद्रा और प्रचलाकी उत्कष्ट प्रदेशउदीरणा किसके होती है ? वह उपशान्तकषाय वीतरागके होती है। निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला, स्त्यानगद्धि, सातावेदनीय व असातावेदनीयकी उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा किसके होती है ? जो प्रमत्तसंयत अनन्तर कालमें अप्रमत्त गुणस्थानको प्राप्त होगा, इस अवस्थामें स्थित है; उसके उक्त प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा होती है।
मिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धी कषायोंकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? जो अनन्तर काल में सम्यक्त्व व संयमको प्राप्त होगा, इस स्थितियुक्त अन्तिम समयवर्ती मिथ्यादृष्टिके उनकी उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा होती है। सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा किसके होती है ?
जिसके कृतकरणीय होने में एक समय अधिक आवली मात्र शेष रही है उसके सम्यक्त्व प्रकृतिकी Jain Education International
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