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________________ उवक्कमाणुयोगद्दारे अणुभागउदीरणा ( २२७ अ० गुणा। ओरालिय० अ० गुणा । वेउन्विय० अ० गुणा। तिरिक्खाउ० अ० गुणा। मणुसाउ० अ० गुणा। आहार० अ० गुणा। तेजइय० अ० गुणा । कम्मइय० अ० गुणा । तिरिक्खगइ० अ० गुणा। णिरयगइ० अ० गुणा । मणुसगइ अ० गुणा । देवगइ० अ० गुणा । णीचागोद० अ० गुणा । अजस० अ० गुणा । असादावेदणीय० अ० गुणा। उच्चागोद० अ० गुणा । जसगित्ति० अ० गुणा। साद० अ० गुणा । णिरयाउ० अ० गुणा । देवाउ० अणंतगुणा । णिरयगईए सव्वमंदाणुभागं सम्मत्तं । चक्खुदं० अ० गुणा*। अचक्खु० अ० गुणा। हस्स० अ० गुणा। रदि० अ० गुणा। दुगुंछा० अ० गुणा। भय० अ० गणा। सोग० अ० गुणा। अरदि० अ० गुणा। णवंसय० अ० गुणा। संजलणचउक्कम्मि अण्णदर० अ० गुणा। वीरियंतराइय० अ० गुणा । परिभोगंतराइय० अ० गुणा । भोगंतराइय० अ० गुणा। लाहंतराइय० अ० गुणा। दाणंतराइय० अ० गुणा। ओहिणाण--ओहिदसण० अ० गुणा । मणपज्जव० अ० गुणा। सुदावरण० अ० गुणा । मदिआव० अ० गुणा । अपच्चक्खाण० अण्णदर० अ० गुणा । पच्चक्खा० चउक्क० अनंतगुणी है। मिथ्यात्वकी उदीरणा अनंतगुणी है। औदारिकशरीरकी उदीरणा अनंतगुणी है। वैक्रियिकशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । तिर्यगायुकी उदीरणा अनन्तगुणी है। मनुष्यायुकी उदीरणा अनन्तगुणी है। आहारकशरीरकी उदीरणा अनंतगुणी है। तैजसशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी है। कार्मणशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । तिर्यग्गतिकी उदीरणा अनंतगुणी है । नरकगतिकी उदीरणा अनंतगुणी है। मनुष्यगतिकी उदीरणा अन्तगुणी है । देवगतिकी उदीरणा अनंतगुणी है। नीचगोत्रकी उदीरणा अनन्तगुणो है। अयशकीर्तिकी उदीरणा अनंतगुणी है । असातावेदनीयकी उदीरणा अनन्तगुणी है । उच्चगोत्रकी उदीरणा अनंतगुणी है । यशकीर्तिकी उदीरणा अनंतगुणी है। सातावेदनीयकी उदीरणा अनन्तगुणी है। नारकायुको उदीरणा अनन्तगुणी है । देवायुकी उदीरणा अनंतगुणी है। नरकगतिमें सम्यक्त्व प्रकृति सबसे मन्द अनुभागवाली है । उससे चक्षुदर्शनावरणकी जघन्य अनभाग उदीरणा अनन्तगणी है। अचक्षदर्शनावरणकी उदीरणा अनन्तगणी है। हास्यकी उदीरणा अनन्तगणी है। रतिकी उदीरणा अनन्तगणी है। जगप्साकी उदीरणा अनन्तगणी है। भयकी उदीरणा अनन्तगुणी है। शोककी उदीरणा अनन्तगणी है। अरतिकी उदीरणा अनन्तगुणी है। नपुंसकवेदकी उदीरणा अनन्तगुणी है। संज्वलनचतुष्क में अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगणी है । वीर्यान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी है । परिभोगान्तरायकी उदीरणा अनन्तगणी है। भोगान्तरायकी उदीरणा अनंतगणी है। लाभान्तरायकी उदीरणा अनन्तगणी है । दानान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी है। अवधिज्ञानावरण और अवधिदर्शनावरणकी उदीरणा अनन्तगणी है। मनःपर्ययज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगणी है। श्रतज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी है। मतिज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी है। अप्रत्याख्यानावरणचतुष्कमें अन्य ताप्रती 'चक्ख० अण्ण० अणंतगुणा' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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