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छक्खंडागमे संतकम्मं
सादावेदणीयमुदीरेंतो असादावेदणीयस्स णियमा अणुदीरओ। एवमसादस्स वि वत्तव्वं । मिच्छत्तस्स उक्कस्साणुभागमुदीरेंतो सोलसकसाय-णवुंसयवेद- अरदि-सोगभय-दुर्गुछाणं सिया उदीरओ, सिया अणुदीरओ । जदि उदीरओ उक्कस्समणुस्सं वा उदीरेदि । जदि अणुक्कस्स० तो छट्टाणपदिदमुदीरेदि । इत्थि - पुरिसवेदाणं पि एवं चेव वत्तव्वं । हस्स- रदीणं सिया अणुदीरओ । जदि उदीरओ णियमा अणुक्कसं* णियमा अनंतगुणहीणमुदीरेदि । सोलसरणं कसायाणं मिच्छत्तभंगो । णवरि कोधे णिरुद्धे माणादीणमुदीरणा णत्थि । एवं माणादीणं पि वत्तव्वं । णवुंसयवेदस्स मिच्छत्तभंगो । णवरि इत्थि - पुरिसवेदाणमुदीरणा णत्थि । अरदि-सोग-भय-दुगुंछाणं मिच्छत्तभंगो | णवरि अरदि-सोगमुदीरेंतो हस्स रदीणमणुदीरओ । इत्थि - पुरिसवेदाणं मिच्छत्तभंगो । वरि एगवेदे णिरुद्धे सेसवेदाणमणुदीरओ । हस्स रदीणमुक्कस्साणुभागमुदीरेंतो जासि पयडीणमुदीरओ णियमा तासिमणुक्कस्समुक्कस्सादो अनंतणहीणमुदीरेदि । सम्मत्तस्स उक्कस्साणुभागमुदीरेंतो बारसकसायणवणोकसायाण सिया उदीरओ सिया अणुदीरओ । जदि उदीरओ, णियमा अणुक्कस्सं णियमा अनंतगुणहीणं उदीरेदि । एवं सम्मामिच्छत्तस्स वत्तव्वं 1
मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला सोलह कषाय, नपुंसक वेद, अरति, शोक, भय और जुगुप्सका कदाचित् उदीरक और कदाचित् अनुदीरक होता है । यदि वह उदीरक होता है तो उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है। वह यदि अनुत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करता है तो षट्स्थानपतितकी उदीरणा करता है । स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी उदीरणाके सम्बन्ध में भी इसी प्रकार कहना चाहिये । हास्य व रतिका कदाचित् उदीरक होता है और कदाचित् अनुदीरक । यदि उदीरक है तो वह नियमसे अनुत्कृष्ट और नियमसे अनन्तगुण हीन अनुभागकी उदीरणा करता है । सोलह कषायोंके संनिकर्षकी प्ररूपणा मिथ्यात्वके समान है । विशेष इतना है कि क्रोधकी विवक्षा होनेपर मानादिकी उदीरणा नहीं होती । इसी प्रकार मानादिकों की विवक्षा में भी कहना चाहिये । नपुंसकवेदके संनिकर्षकी प्ररूपणा मिथ्यात्वके समान हैं। विशेष इतना है कि नपुंसक वेदके उदीरकके स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी उदीरणा नहीं होती है । अरति व शोक, भय व जुगुप्सा के संनिकर्ष की प्ररूपणा मिथ्यात्वके समान है । विशेष इतना है कि अरति व शोककी उदीरणा करनेवाला हास्य व रतिका अनुदीरक होता है । स्त्री और पुरुष वेदों के संनिकर्ष की प्ररूपणा मिथ्यात्व के समान है । विशेष इतना है कि एक वेदके विवक्षित होनेपर शेष वेदोंका वह अनुदीरक होता है । हास्य व रतिके उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला जिन प्रकृतियों का उदीरक होता है उनके नियमसे उत्कृष्ट अनुभागकी अपेक्षा अनन्तगुणे हीन अनुत्कृष्ट अनुभागका उदीरक होता है । सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट अनुभागकी उदीरणा करनेवाला
Xxx तातो 'अणुक्कस्सा भागमदीरेंतो' इति पाठ: ।
अ- काप्रत्योः '-वेदाणं पि चैव वत्तव्वं' ताप्रतौ
' - वेदाणं पि चेव ( एवं ) वत्तव्वं ' इति पाठः । ताप्रतौ ' हस्स रदीणं णियमा उदीरओसिया अणुदीओ
ताप्रतौ ' - मणुदीरेदि' इति पाठ: ।
इति पाठ: । * ताप्रती ' अणुक्कस्पा' इति पाठ: ।
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