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छक्खंडागमे संतकम्म
पुरिसवेदाणं कस्स? तिरिक्खस्स अट्ठवासाउअस्स अट्ठवस्सजादस्स सव्वसंकिलिट्ठस्स।
णिरयाउअस्स कस्स? रइअस्स तेत्तीसंसागरोवमियस्स पज्जत्तस्स मिच्छाइद्विस्स उक्कस्ससंकिलिट्ठस्स । मणुस-तिरिक्खाउआणं कस्स ? तिपलिदोवमियस्स पज्जत्तयस्सर । देवाउअस्स कस्स ? तेत्तीसंसागरोवमियस्स पज्जत्तस्स। _णिरयगइणामाए कस्स ? तेत्तीसंसागरोवमियस्स पज्जत्तस्स उक्कस्ससंकिलिटुस्स। मज्झिमपरिणामस्स वा। तिरिक्खगइणामाए कस्स ? तिरिक्खस्स अट्ठवासाउअस्स अटुवस्सजादस्स तप्पाओग्गसंकिलिट्ठस्स । मणुसगदिणामाए कस्स? मणुस्सस्स तिपलिदोवमियस्स पज्जत्तस्स। देवगदिणामाए कस्स? देवस्स तेत्तीसंसागरोवमियस्स पज्जत्तस्स । ओरालियणामाए उक्कस्सिया उदीरणा कस्स? मणुस्सस्स तिपलिदोवमियस्स पज्जत्तस्स । वेउब्वियसरीरणामाए कस्स? देवस्स तेत्तीसंसागरोवमियस्स पज्जतस्स। आहारसरीरणामाए कस्स? पज्जत्तस्स आहारसरीरमुट्ठाविदसंजदस्स। तेजाकम्मइयसरीराणमुक्कस्सिया उदीरणा कस्स? चरिमसमयसजोगिस्स । तिण्णिअंगोवंग
और पुरुषवेदकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह आठ वर्ष प्रमाण आयुवाले अष्टवर्षीय सर्वसंक्लिष्ट तिर्यंच जीवके होती है ।
नारकायुकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त हुए तेतीस सागरोपम प्रमाण आयुवाले मिथ्यादृष्टि पर्याप्त नारकी जीवके होती है । मनुष्यायु और तिर्यंचआयुकी उत्कृष्ट अनुभागउदीरणा किसके होती है ? वह तीन पल्योपम प्रमाण आयुवाले पर्याप्त जीवके होती है। देवायुकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है । वह तेतीस सागरोपमकी आयुवाले पर्याप्त देवके होती है।
नरकगति नामकर्मकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त अथवा मध्यम परिणाम यक्त तेतीस सागरोवमकी आयवाले पर्याप्त जीवके होती है। तिर्यग्गति नामकर्मकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह तत्प्रायोग्य संक्लेशसे युक्त आठ वर्ष प्रमाण आयुवाले अष्टवर्षीय तिर्यंच जीवके होती है। मनुष्यगति नामकर्मकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह तीन पल्योपमकी आयुवाले मनुष्य पर्याप्तके होती है। देवगति नामकर्मकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह तेतीस सागरोपमकी आयुवाले देव पर्याप्तके होती है। औदारिकशरीर नामकर्मकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह तीन पल्योपमकी आयुवाले मनुष्य पर्याप्तके होती है। वैक्रियिकशरीर नामकर्मकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह तेतीस सागरोपम आयुवाले देव पर्याप्तके होती है। आहारकशरीर नामकर्मकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह आहारकशरीरको पूर्ण करनेवाले संयत पर्याप्तके होती है। तैजस और कार्मण शरीरोंकी उत्कृष्ट उदीरणा किसके होती है ? वह अन्तिम समयवर्ती सयोगी केवलीके होती है। तीन आंगोपांग, बन्धन और संघात नामकर्मोकी प्ररूपणा अपने
४ ताप्रती 'पज्जत्तयस्स' इत्येतत्पदं नास्ति । . नियगठिई उक्कोस्सो पज्जत्तो आउगाणं पि ।।
क. प्र. ४, ६४. * काप्रती 'सागरोवमेयस्स पज्जतस्स उदीरणासकिलिट्ठस्स' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only
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