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________________ १६२ ) छक्खंडागमे संतकम्म दूण भाणिदवाओ। णाणाजीवेहि कालो अंतरं च जाणिदूण भाणिदव्वं । अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा णाणावरणपंचयस्स भुजगारउदीरया जीवा, अवट्टिदउदीरया संखेज्जगुणा, अप्पदरउदीरया संखेज्जगुणा। एवं चत्तारिदसणावरणीयपंचंतराइयाणं धुवोदयणामपयडीणं च वत्तव्वं । सव्वत्थोवा णिहाए भुजगारउदीरया, अवत्तव्वउदीरया संखेज्जगुणा, अवविदउदीरया असंखेज्जगुणा, अप्पदरउदीरया संखेज्जगुणा । एवं सेसचदुण्णं दंसणावरणोयाणं । सादासादाणं णिद्दाभंगो । मिच्छत्तस्स सव्वत्थोवा अवत्तव्वउदीरया, भुजगारउदीरया अणंतगुणा, अवट्टिदउदीरया असंखेज्जगुणा, अप्पदरउदीरया असंखेज्जगुणा। सम्मत्तस्स सव्वत्थोवा अवट्ठिदउदीरया, भुजगारउदीरया असंखेज्जगुणा, अवत्तव्वउदीरया असंखेज्जगुणा, अप्पदरउदीरया असंखेज्जगुणा। सम्मामिच्छत्तस्स सव्वत्थोवा अवत्तव्वउदीरया अप्पदरउदीरया असंखेज्जगुणा। सोलसण्णं कसायाणमण्णदरस्स कसायस्स सव्वत्थोवा भुजगारउदीरया, अवत्तव्वउदीरया संखेज्जगुणा, अवविदउदीरया असंखेज्जगुणा, अप्पदरउदीरया संखेज्जगुणा । एवं हस्स-रदि-अरदि-सोग-भय-दुगुंछाणं । इत्थि-पुरिसवेदाणं सव्वत्थोवा सब प्रकृतियोंके. विषयमें नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचयका कथन जानकर करना चाहिये । नाना जीवोंकी अपेक्षा काल और अन्तरका कथन भी जानकर करना चाहिय । ___ अल्पबहुत्व- पांच ज्ञानावरणीय प्रकृतियोंके भुजाकार उदीरक जीव सबसे स्तोक हैं, उनसे अवस्थित उदीरक संख्यातगुणे हैं, उनसे अल्पतर उदीरक संख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार चार दर्शनावरणीय, पांच अन्तराय और ध्रुवोदयी नामप्रकृतियोंके विषयमें भी प्रकृत अल्पबहुत्वका कथन करना चाहिये। निद्रा दर्शनावरणके भुजाकार उदीरक सबसे स्तोक हैं, उनसे अवक्तव्य उदीरक संख्यातगुणे हैं। उनसे अवस्थित उदीरक असंख्यातगुणे हैं, उनसे अल्पतर उदीरक संख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार शेष चार दर्शनावरण प्रकृतियोंके विषय में प्रकृत अल्पबहुत्व कहना चाहिये । साता व असाता वेदनीयकी प्रकृत अल्पबहुत्वप्ररूपणा निद्रा दर्शनावरणके समान है। मिथ्यात्वके अवक्तव्य उदीरक सबसे स्तोक हैं, भुजाकार उदीरक उनसे अनन्तगुणे हैं, अवस्थित उदीरक असंख्यातगुणे हैं, अल्पतर उदीरक असंख्यातगुणे हैं। सम्यक्त्वके अवस्थितउदीरक सबसे स्तोक हैं, भुजाकार उदीरक असंख्यातगुणे हैं, अवक्तव्य उदीरक असंख्यातगुणे हैं। अल्पतर उदीरक असंख्यातगुणे हैं। सम्यग्मिथ्यात्वके अवक्तव्य उदीरक सबसे स्तोक हैं, अल्प तर उदीरक असंख्यातगुणे हैं। सोलह कषायोंमें अन्यतर कषायके भुजाकार उदीरक सबसे स्तोक हैं, अवक्तव्य उदीरक संख्यातगुणे हैं, अवस्थित उदीरक असंख्यातगुणे हैं, अल्पतर-उदीरक संख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार हास्य, रति, अरति, शोक, भय और जुगुप्साके विषयमें इस अल्पबहुत्वका कथन करना चाहिये । स्त्री और पुरुष वेदके अवक्तव्य उदीरक सबसे स्तोक हैं, ४ ताप्रतौ 'अवत्तव्वउदीरया, ( अप्पदरउदीरया) असंखे० गुणा, भुजागारउदीरया अणंतगुणा, अवट्रिद उदीरया असंखेज्जगणा। सम्पत्तस्स' इति पाठः।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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