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उवक्कमाणुयोगद्दारे ट्ठिदिउदीरणा
( १५९ आउआणं भुजगारउदीरणा णत्थि । णामाणमण्णदरपयडीए भुजगारउदीरणा जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण संखेज्जाणि समयसहस्साणि। उच्चागोद-णीचागोदाणं भुजगारउदीरणा जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण पंच समया। अत्थदो चत्तारि समया दीसंति। पंचण्णमंतराइयाणं भुजगारउदीरणा जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण अट्ठ समया।
पंचणाणावरणीय-चउदंसणावरणीयाणं णामम्हि धुवोदयपयडीणं पंचंतराइयाणं च अप्पदरउदीरणा जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण बे-छावट्ठिसागरोवमाणि सादिरेयाणि। पंचण्णं दसणावरणीयाणमप्पदरउदीरणा जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं। सादस्स अप्पदरउदीरणा जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण छम्मासे समऊणे । असादस्स अप्पदरउदीरणा जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण सम्माविट्ठीसु असंजदेसु पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। एदेसि पुवुत्तसव्वकम्माणमवठ्ठियस्स कालो जहण्णण एयसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । मिच्छत्तअप्पदरउदीरणा जहण्णण एयसमओ, उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। अवट्ठिदउदीरणा जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं । सम्मत्तस्स भुजगारो अवट्ठिदो जहण्णुक्कस्सेण एयसमओ। अप्पदरउदीरणा जहण्णण अंतोमुत्तं,
आयु कर्मोंकी भुजाकार उदीरणा नहीं होती। नाम कर्मकी प्रकृतियोंमें अन्यतर प्रकृतिकी भुजाकार उदीरणा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे संख्यात हजार समय तक होती है। उच्चगोत्र और नीचगोत्रकी भजाकार उदीरणा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे पांच समय होती है। अर्थतः उसके चार समय दीखते है। पांच अन्तराय प्रकृतियोंकी भुजाकार उदीरणा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे आठ समय होती है।
पांच ज्ञानावरण, चार दर्शनावरण, नामकर्मकी ध्रुवोदयी प्रकृतियों तथा पांच अन्तराय प्रकृतियोंकी अल्पतर उदीरणा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे साधिक दो छयासठ सागरोपम काल तक होती है। पांच दर्शनावरण प्रकृतियोंकी अल्पतर उदीरणा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहुर्त तक होती है। सातावेदनीयकी अल्पतर उदीरणा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे एक समय कम छह मास तक होती है । असाता वेदनीयकी अल्पतर उदीरणा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे असंयत सम्यग्दृष्टियोंमें पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र काल तक होती है। पूर्वोक्त इन सब कर्मोकी अवस्थित उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त मात्र है।
मिथ्यात्वकी अल्पतर उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। उसकी अवस्थित उदीरणाका काल जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त मात्र है। सम्यक्त्व प्रकृतिकी भुजाकार और अवस्थित उदीरणाओंका काल जघन्य व उत्कर्षसे एक समय मात्र है। उसकी अल्पतर उदीरणाका काल जघन्यसे..
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