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________________ १५६ ) छक्खंडागमे संतकम्म जट्ठि० विसेसाहिया। देवगईए जहण्णट्ठिदिउदीरणादंडओ समत्तो। . असण्णीसु आउअस्स जहण्णट्टिदिउदीरणा थोवा, जट्ठिदि० उदी० असंखेज्जगुणा। जसगित्तीए जहण्णदिदिउदीरणा संखेज्जगुणा, जढि० विसेसाहिया। तिरिक्खगईए जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठि० विसेसाहिया। णीचागोदस्स जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्टि० विसेसाहिया। ओरालिय-तेजा-कम्मइयाणं जहण्णदिदिउदोरणा विसेसाहिया, जट्ठि० विसेसाहिया। अजस गित्तीए जहण्णढिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्टि० विसेसाहिया। सादस्स जहण्णट्ठिदिउदोरणा विसेसाहिया, जट्टि० विसेसाहिया। असादस्स जहण्णढिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्टि० विसेसाहिया। पंचणाणावरणीय-चत्तारिदसणावरणीय-पंचंतराइयाणं जहण्णटिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठि० विसेसाहिया। पुरिसवेदस्स जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेताहिया, जट्ठि० विसेसाहिया। हस्स-रदीणं जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठि० विसेसाहिया। अरदि-सोगाणं जहण्णढिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठि० विसेसाहिया। भय-दुगुंछाणं जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठि० विसेसाहिया। सोलसकसायाणं जहणिया टिदिउदीरणा तत्तिया चेव, जट्ठि० विसेसाहिया । इत्थिवेदस्स जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठि० विसेसाहिया । णवंसयवेदस्स जहण्णट्ठिदिउदीरणा विसेसाहिया, जट्ठि० विसेज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है । देवगतिमें जघन्य स्थिति-उदीरणा-दण्डक समाप्त हुआ। असंज्ञी जीवोंमें आयु कर्मकी जघन्य स्थिति-उदीरणा स्तोक है, ज-स्थिति-उदीरणा असंख्यातगुणी है। यशकीर्तिकी जघन्य स्थिति-उदीरणा संख्यातगुणी है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। तिर्यंचगतिकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। नीचगोत्रकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है । औदारिक, तैजस और कार्मण शरीरोंकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है; ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। अयशकीर्तिकी स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज. स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। सातावेदनीयकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। असाताधेदनीयकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। पांच ज्ञानावरण, चार दर्शनावरण और पांच अन्तरायकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है ; ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। पुरुषवेदकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। हास्य और रतिकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। अरति और शोककी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। भय और जुगुप्साकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। सोलह कषायोंकी जघन्य स्थिति-उदीरणा उतनी ही है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। स्त्रीवेदकी जघन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है। नपुंसकवेदकी जवन्य स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक है, ज-स्थिति-उदीरणा विशेष अधिक ताप्रतौ ( ज० टुिदि० विसे०- ) इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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